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बिलख रही विवश भारत माता

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बैठी आस लगाये तड़पती है भारत माता।
चीख रही बिलख रही विवश भारत माता।।

मॉ को क्या पता था पाप इन कपूत के,
गर्भ में पाल रही थी देख सपने सपूत के,
पैदा हुआ है नाग जो मॉ पर हंस रहा है,
देह मानव पाकर नाग जैसा डस रहा है,
पानी बना लहू में उबाल क्यूं नही आता।
बैठी आस लगाये तड़पती है भारत माता।

नोच रहे मॉ को भ्रष्टाचार के निवाले में,
उलझा हुआ है मानव लोभ के जाले में,
दुश्मनो के साथ बैठ खूनी ज़ाम पी रहे,
बेच मॉ की आबरू बेशर्म बेनाम जी रहे,
जाये मॉ किस ओर कोई राह तो दिखाता।
चीख रही बिलख रही विवश भारत माता।।

बलात्कार भ्रष्टाचार नीति बन गयी,
भाई मारे भाई को सुनीति बन गयी,
डरता नहीं है पापी कुदरत के कहर से,
मरता नहीं कुलघाती शब्दों के जहर से,
धंसा पाप की दलदल में अहंकार लुटाता।
चीख रही बिलख रही विवश भारत माता।।

होगा कभी जन्म आयेगा सिंह भगत,
आजाद बोस ऊधम दहलेगा ये जगत,
मॉ के कपूत सुन ले तू भाग नही पायेगा,
दुश्मनों के संग अपनी अर्थी तू सजायेगा,
मिलेगा नही कॉधा किसी से नही है नाता।
चीख रही बिलख रही विवश भारत माता।।

बैठी आस लगाये तड़पती है भारत माता।
चीख रही बिलख रही विवश भारत माता।।

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