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मोहनदास करमचन्द गॉधी नाम था उस व्यक्तित्व का जिसने अंग्रेजों को भारत देश से उखाड़ने में अपने सभी सुखों का त्याग कर दिया। जिसके एक कदम के पीछे करोड़ो कदम अपने आप चल पड़ते थे, जिसकी एक आवाज पर पूरा देश आन्दोलन में खड़ा हो जाता था। जिसका डंका हिन्दुस्तान ही नहीं विदेशों तक बजने लगा, जिस काले हिन्दुस्तानी को अंग्रेजों द्वारा वातानुकूलित प्रथम श्रेणी की बोगी से बाहर फेंक दिया गया, उसी काले हिन्दुस्तानी ने गोरी सरकार को देश से बाहर फेंकने में अपना जीवन समर्पित कर दिया और वह दिन भी आया जब भारतीयों को अंग्रेजो से मुक्ति मिली और वह स्वतंत्र कहलाये।
आज महात्मा गॉधी के चरित्र पर तरह तरह के सवालों और आरोपों का ढॉचा खड़ा किया जा रहा है जिसमें मुख्य कारण देश विभाजन को प्रमुखता दी जा रही है। देश विभाजन के लिये वास्तविक जिम्मेदार महात्मा गॉधी थे या उस समय स्थापित मुस्लिम लीग की महत्वाकॉक्षा जिसे सत्ता के लालच ने देश विभाजन का माध्यम बनाया। मनुष्य परिस्थतियों का दास है और देश विभाजन भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति का परिणाम है। देश के विभाजन के लिये जिम्मेदार गॉधी को कौन सा महत्वपूर्ण पद प्राप्त हुआ इसकी जानकारी नही है फिर ऐसा क्या था जिसके लोभ में गॉधी ने ऐसा कदम उठाया, यह गहरी बातों का विषय है दो शब्दों या चन्द पंक्तियों में इसका आशय प्रस्तुत करना आधी अधूरी जानकारी के समान है, विस्तृत जानकारी का श्रोत इतिहास है जिसमें इतिहासकारों ने देशविभाजन की परिस्थितियों का भौतिक वर्णन प्रस्तुत किया है, जिसे हम सभी को जानना और समझना होगा।
महात्मा गॉधी को आज देश का एक विशेष वर्ग देश विभाजन का दोषी मानता है किन्तु क्या यह वास्तविकता है या हमारा भ्रम, इसे जानने के लिये थोड़ा गॉधी चरित्र पर प्रकाश डालना होगा। महात्मा गॉधी पेशे से वकील थे किन्तु उन्होने वकालत को अपना व परिवार का भरण पोषण करने वाला माध्यम नही बनाया बल्कि देश के प्रति अपना ज्ञान व पेशा समर्पित कर दिया और अंग्रेजो से खुलकर लोहा लिया। महात्मा गॉधी एक ऐसी विशेषता के स्वामी रहे जिसने जो कहा उसे कर दिखाया केवल लोगो को आगे बढ़ने की प्रेरणा नहीं दी स्वयं उनके आगे चलने का हौसला दिखाया, पीड़ित कराहते भारतीयों को ऊंगली पकड़कर चलना सिखाया। आज आजादी की बात करने वाले आजादी का महत्व तक नही जानते जबकि महात्मा गॉधी ने प्रथम लोगों के अन्दर लोगों का अधिकार और उसे प्राप्त करने की भावना को जगाया और स्वयं उसकी मशाल बने। ऊँचनीच का भेदभाव समाप्त करने में अग्रणी रहे जिसे आज आजादी पाकर लोग नही दूर कर पा रहे है बल्कि जातिगत दलदल में धंसते जा रहे हैं सभी। गॉधी ने शस्त्रो का प्रयोग वर्जित माना स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये और अहिंसा की लाठी को ढाल बनाना सिखाया और हथियार भी जिसे आज हम कायरता कहते हैं किन्तु इसमें गॉधी की छिपी दूरदर्शिता स्पष्ट हो रही है, यदि गॉधी ने स्वतंत्रता के लिये शस्त्रों का प्रयोग किया होता तब सम्पूर्ण भारत के हाथों में शस्त्र होता जो आज के पाकिस्तान और इस्लामिक देशों से तुलना कर रहा होता जिससे भारत का वर्तमान बिल्कुल विपरीत दिखायी देता यहॉ भी अशिक्षा का प्रतिशत बढ़ता, हिंसा बढ़ती। जो अराजकता आज पनप रही है आजादी के बाद, उसका भयंकर रूप देश को तब दिखाई देता जिसके अवशेष में हमारा वर्तमान दिखता, किन्तु गॉधी की दूरदर्शिता का परिणाम रहा कि आज हम शस्त्रो से दूर रहकर अपने विचारो को परिपोषित करने में सक्षम हैं। गॉधी ने विदेशी सामानों का बहिष्कार किया और आज हम विदेशी सामानो को स्थान देने में गर्व समझ रहे हैं। गॉधी ने देश को आजाद कराने के लिये अपने सुखों का त्याग किया जिनको आज देशविभाजन का कारण कहा जा रहा है। गॉधी ही तो थे जिसने देश से गरीबी मिटाने का संकल्प लिया और आजीवन एक धोती से अपना तन ढंकते रहे और आज आजाद भारत में दूसरों के वस्त्र छीनकर नंगा देखने में लोगों को आनन्द प्राप्त होता है।
भारत- पाकिस्तान विभाजन में महात्मा गॉधी की क्या भूमिका रही इससे अधिक यह महत्वपूर्ण है कि ऐसा करने वाले गॉधी को क्या मिला ? क्या गॉधी ने जो किया देश के लिये आज आजाद देश में ऐसा कोई कर रहा है या मात्र जुबानी तीर ही चलाये जा रहे हैं ? सर्वसम्पन्न होकर गरीब को एक रोटी तक न खिला पाने वाले गॉधी के चरित्र पर किस प्रकार ऊँगली उठाने का अधिकार रखते हैं ? यह विचारधारा बदलनी होगी वास्तविकता को समझना होगा मात्र बहकावे में आकर दोषारोपण करना कहीं न कहीं हमारी अज्ञानता को प्रकट करता है इस पर नियंत्रण आवश्यक है जिसका परिणाम जिन्ना और नेहरू की सत्तालोभ का चित्रण परिदृश्य करता है।
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