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देश की हर माँ की कोख से मारी गई कन्या भ्रूण हिकारत भरी नजरों से बहते हुए आंसूओं के साथ मुझसे ये सवाल करती हैं ।
कि तुम, विराट सोच से ताल्लुक रखने वाले 5000 साल पुरानी सनातन धर्म से संबंध होने की बात करते हो तो दिलाओ एक बिलखती कन्या को वो जीवन जो उससे सिर्फ महिला होने के कारण छीन लिया गया।
कि तुम महान हिंदू धर्म के वारिस होने का दावा करते हो तो दिलाओ एक कली को उसके ही आंगन महकने का अधिकार।
कि तुम वसुधैवकुटुम्बकम मे विश्वास रखने वाले महान देश के महान नागरिक होने का दंभ भरते हो तो दिलाओ कश्मीर से कन्याकुमारी तक कन्या को जन्म देने वाली हर माँ को सम्मान।
कि तुम दुनिया के चौथी बड़ी फौज होने का घमंड करते हो तो बनाओ कोख मे हमे मारने वालों के खिलाफ मौत का प्रावधान।
उसके सवालो के समक्ष मै अपने आप को कमजोर और जबाब हीन पाता हूँ।
मै ये अच्छी तरह से जानता हूँ कि अगर गलती से भी नारी को अपमान सहन करना पड़ा तो अपने ही वंश खत्म करनेवाला महाप्रलयंकारी महाभारत का युद्ध हो जाता है।
मै ये भी अच्छी तरह से जानता हूँ कि अगर नारी के सम्मान के खिलाफ यदि कोई कृत्य हुआ तो ब्रम्हा, विष्णु, रुद्र जैसे देवताओं को भी अबोध बालक बनना पड़ जाता है ।
हम क्यों सबक नही सीखते अपने महान और स्वर्णिम इतिहास से?
कविता तिवारी की ये पंक्तिया बड़ी ही सार्थक प्रतीत होतीहै …
अगर भूले से भी नारी सहे अपमान की पीड़ा,
तो श्री राम के घोड़े को लव कुश थाम लेते हैं।
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