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इस दौर-ए-मुन्सीफी ये जरूरी नही होता कि,
जिस व्यक्ति की खता हो सजा उसी को मिले।
डॉक्टर वसीम बरेलवी के इस मसले को करीब करीब सच करने का ठान ही लिया था आपने।
श्रीमान् हमारा तो विश्वास है कि..
ज़ालिम का जो साथ दे वो ज़ालिम के साथ है,
कातिल को जो ना टोके, वो कातिल के साथ है,
अपराधिक प्रवृत्ति के लोगो को प्रदेश से बाहर चले जाने की चेतावनी देने वाले हाकिम बताओ तो, ऐसी क्या मजबूरी थी जो आपकी पुलिसीया जमींदारी का नबाब बलात्कार जैसे जघन्य कृत्य के आरोपी को माननीय/आदरणीय शब्दो से नवाज रहा था, क्या आपने उसे सभी के साथ ही ऐसी अनुशासित भाषा का उपयोग करना सिखाया है या उसे आपके खास लोगों के साथ ही ऐसे संयमित रहने का आदेश पारित किया गया है।
उच्चतम न्यायालय के आदेशों का आप और आपकी पार्टी पर कोई प्रभाव नही है मुझे जानकारी थी इस बात की, जैसे आधार कार्ड वाले मामले मे अवमानना किया गया कोई बात नही।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी जब यह सवाल पुछा कि आरोपी हिरासत मे क्यों नही है अभी तक, उसका भी कोई प्रभाव नही श्रीमान कोई बात नही।
पर इतना दुस्साहस!!
चलिए कोर्ट को छोड़िए आप तो संत हैं योगी जी आप तो जानते हैं
माँ सीता को अपना बना लेने के उद्देश्य से अपहरण करने के बाद भी राक्षस राजा रावण, सीता जी की इच्छा के विरुद्ध उनसे नजर मिलाने की हिम्मत तक नही जुटा पाया था, इतना महिला सम्मान तो हमारे यहां राक्षस भी करते हैं
हमारा इतिहास अत्यंत समृद्ध है और चीख चीखकर बताता है कि महिला की अस्मत पर हाथ डालने पर हम संसार का सबसे भयंकर युद्ध महाभारत करके अपने ही लोगो की लाशें बिछा देते हैं।
और ये भी कैसे भूल सकते हैं आप कि देवों की भूमि है ये, राम, कृष्ण और परशुराम ने अवतार के लिए इसी मिट्टी को चुना और इसी मिट्टी मे लोट लोटकर भगवान हो गये।
भृगु, सुरदास, तुलसीदास, ब्यास और वाल्मीकि की भूमि से संबंध रखते हैं आप।
मुझे निराशा इस बात से नही हुई श्रीमान की आपकी राज्यसभा मे निम्न और गंदे लोग हैं।
मुझे निराशा इस बात से भी नही हुई की वो प्रधानमंत्री जी के बोलने के बाद पकड़ाया।
मुझे इस बात से अत्यंत निराशा हुई कि आपने कोई कदम नही उठाया प्रदेश के मुखिया के तौर पर।
सुशील कुमार पाण्डेय
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