Menu
blogid : 25599 postid : 1387449

सच मे थक गया हूं मै माँ

Social Issues
Social Issues
  • 35 Posts
  • 4 Comments

कहां चली गई तुम,और हम चाहकर भी कुछ कर नही पाये, मैने पहली बार किसी को जलते हुए देखा,वो भी अपनी माँ को, कितना खुद को बेबस महसूस कर रहा हूंगा मै। हां सच मे मैने औरों की माँ को मरते हुए देखा था और उन्हे सान्त्वना भी दिया था पर कभी सोचा नही था कि मेरी माँ भी मर सकती हैं कभी। सच कहा है किसी ने यही यथार्थ है, और ये सबके साथ ही होता है एक दिन, पर मै क्यों नही समझा पा रहा हूं अपने आप को?

 

 

*हाँ तेरी यादों से कैसे खुद को उबारुं मै,*
*दुबारा जिंदगी को फिर कैसे संवारुं मै* ।

पता नही तुम्हारे जाने के बाद से खुद को अकेला क्यों समझने लगा हूं मै, जबकि बाबूजी का साथ और मजबूत हो गया है तुम्हारे जाने के बाद। तुम्हारे रहते तुम जिद करती थी मेरी खबर लेने के लिए, अब बाबूजी ठीक वैसे ही खबर लेने लगे हैं। पर उनके फोन के बाद भी तुम्हारी कमी तो महसुस होती ही है न माँ। मै क्या करुं कैसे मिलूं तुमसे समझ नही आता, क्यों पता नही क्यों तुम्हारा मोह भंग ही नही हो रहा है, हर बार हाँ करीब-करीब रोज ही कसम खाता हूं कि भूलने की कोशिश करुंगा तुम्हे पर हो ही नही पाता, क्या करुं कैसे भूल जाउं तुम्हे। इस बार गांव गया था तो सोच रहा था कि कैसा लगेगा गांव तुम्हारे बिना, जाकर मै तुम्हारे उसी कमरे मे सोया सब कुछ वैसा ही था बस तुम नही थी।

दिनेश रघुवंशी की ये पंक्तियां अनायास ही याद आ गईं।

*भरे घर मे तेरी आहट कहीं मिलती नही अम्मा* ,
*तेरी हाथों सी नरमाहट कहीं मिलती नही अम्मा* ।
*मै तन पर लादे फिरता हूं दुशालें रेशमी लेकिन* ,
*तेरी गोदी सी गरमाहट कहीं मिलती नही अम्मा* ।।

मेरे घर आने पर तुम्हारा मेरे खाने के लिए परेशान होना पता नही क्यों नही भूला पा रहा हूं मै। मेरा तुम पर झुंझलाना, और उसकी परवाह किये बिना तुम्हारा वैसे ही मेरे खाने के लिए बेचैन रहना बहुत तकलीफ देता है मुझे अब। तुम एक बार हां सिर्फ एक बार मिल जाती तो सारे गुनाहो की माफी तो मांग लेता मै, और खुद को तसल्ली भी दे पाता। अब कहां कोई पुछता है कि कब आओगे कार्यालय से, देर क्योंं हो रहा है? वापस आने तक लगातार अब कहां कोई इंतज़ार करता है मेरा?

*जब भी आता था मै माँ, काम से घर लौटकर* ।
*खींच लेता था हर दर्द,तेरा दिया दुध औटकर* ।।

किसी ने कहा कि••

*जन्नत की तलाश से थक जाओ जब* ।
*माँ के आँचल मे सुस्ता लेना तब* ।।

पर मै कहा तलाश करूं वो आँचल कहां जाऊँ सुस्ताने, तुम क्यों नही सहारा देती मुझे? हां थक गया हूं मै, अब सच मे थक गया हूं मै माँ।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh