आज पत्नी से बात करते हुए उसके पुछने पर की बाबूजी से आज बात हुआ कि नही? अचानक मुंह से निकल गया की हां बात हुआ भइया, भाभी, पार्थ, बाबूजी,अम्मा, सब ठीक हैं। पत्नी ने ही याद दिलाया कि अम्मा कहां?
अम्मा कहना तुम्हारी फिर याद दिला गया मुझे। आज फिर बहुत रोने का मन कर रहा है। क्या करूं माँ कैसे आऊं तुम्हारे पास तुम्हारा ठिकाना भी तो नही मालूम मुझे कहां ढ़ूढ़ू तुम्हें? आजीवन इस कष्ट को झेल कैसे पाऊंगा मै? तुम हमारे साथ रहते हुए तो हमेशा कहती थी कि थोड़ी तकलीफ होने पर भी मै बहुत परेशान हो जाता हूं फिर इतना बड़ा दुख देकर तुम जा कैसे सकती हो मुझे?
तुम तो चली गई हम सबको छोड़कर मांं तुम भी बेचैन होगी जरूर हमसे मिलने के लिए, स्वर्ग के वो सारे सुख तुम्हें भी फीके लगते होंगे मेरे बिना पता है मुझे। पता नही क्यों अपने आप को तुम्हारी इस संसार मे अनुपस्थिति का विश्वास नही दिला पा रहा हूं मै। मेरी नौकरी, मेरी शादी, मेरे बच्चे के लिए इतना परेशान रहती थी तो सब होने के बाद भी क्यो छोड़ गई मुझे।
हां ठीक है मै बहुत परेशान करता था तुम्हें पर सच मुझे नहींं पता था मांं कि तुम ऐसे दामन छुड़ाओगी मुझसे कि फिर तुम्हारे आंचल को महसूस ही नही कर पाऊंगा कभी। तो क्या हुआ मै गर तकलीफें देता था तुम्हे थोड़ा, तो सबक सिखाने का लिए संसार से चले जाना ही एक उपाय शेष था क्या माँ? तो क्या हुआ जो लड़ता था मै तुमसे, इतनी छोटी गलती पर इतनी बड़ी सजा! क्या उचित था ये मांं?
तो क्या हुआ जो रुलाता था मै तुमको अक्सर, इसके ऐवज मे मुझे, तुम्हारे अभाव तड़पने के लिए तुम्हारा, मुझे यूं छोड़़ जाना जायज था क्या माँ?
तुम्हारे रहते मै क्यों नही समझ पाया कि चली जाओगी तुम भी हमेशा के लिए मुझे छोड़कर कभी? तुम्हारे जाने के बाद से पता नही क्यों, अपने आप से नाराजगी सा महसूस करने लगा हूं मै, माँ। माफी जैसी कोई बात नही है पर मै माफ नही कर पा रहा हूं खुद को।
मेरे खातिर अक्सर तुम्हारी आखों का नम होना जाना, अब तुम्हारे जाने के बाद, याद आने पर मेरी घावों को कुरेदकर बेतहाशा दर्द सा अनुभव कराता है मुझे मांं।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments