… क्या इतना काफी नही है कि मै महात्मा गाँधी को बापू और भारत को माँ कहता हूँ?
Social Issues
35 Posts
4 Comments
मै इमरान प्रतापगढ़ी की इन पंक्तियों से अपने बात की शुरुआत करता हु की ….
मै ये नहीं कहता की वफादार नहीं था
या मुल्क की मिट्टी से उसे प्यार नही था,
जिसने कभी कानून की इज्जत नहीं किया,
वह शख्स तिरंगे का तो हकदार नही था
मै उसका नाम नही लूंगा वरना आप समझ जायेंगे कि मैं बाल ठाकरे कि बात कर रहा हूँ
इससे क्या फर्क पड़ता है कि मै कहा का रहने वाला हूं बिहार का या बंगाल का मेघालय या शिलांग का, महाराष्ट्र या सौराष्ट्र का•••
क्या इतना काफी नही है कि मै हिंदी बोलता हूँ क्या इतना काफी नही है कि मैं भारतीय हूँ, क्या इतना काफी नही है कि मै महात्मा गाँधी को बापू और भारत को माँ कहता हूँ।
क्या खुद को आपसे बचाने के लिए मुझे सबूत प्रस्तुत करना होगा कि मै हिन्दू या मुसलमान हूँ ।
या मुझे मराठी सीखना होगा।
कितने शर्म कि बात है कि हम अपने आपको संसार की सबसे पुरानी और सनातन धर्म के मानने वाले कहते हैं और ऐसा व्यवहार क्या हमे शोभा देता है।
नहीं बिल्कुल नहीं हम बिल्कुल वैसे नहीं हैं जैसा कन्हैया, हार्दिक, राज और उद्धव ठाकरे ने हमे प्रस्तुत किया है।
हमे लड़ना है उनकी सोच से उनकी बिचारधारा से और उनकी बौनी मानसिकता से तभी हम सिद्ध कर पाएंगे की हम एक महान देश के महान बिचारधारा से संबंध रखते हैं और आइए हम कसम खायें कि हम ये सिद्ध करके रहेंगे।।
संकल्प सार्थक हो।।।
मै इमरान प्रतापगढ़ी की इन पंक्तियों से अपने बात की शुरुआत करता हु की ….
मै ये नहीं कहता की वफादार नहीं था
या मुल्क की मिट्टी से उसे प्यार नही था,
जिसने कभी कानून की इज्जत नहीं किया,
वह शख्स तिरंगे का तो हकदार नही था
मै उसका नाम नही लूंगा वरना आप समझ जायेंगे कि मैं बाल ठाकरे कि बात कर रहा हूँ
इससे क्या फर्क पड़ता है कि मै कहा का रहने वाला हूं बिहार का या बंगाल का मेघालय या शिलांग का, महाराष्ट्र या सौराष्ट्र का•••
क्या इतना काफी नही है कि मै हिंदी बोलता हूँ क्या इतना काफी नही है कि मैं भारतीय हूँ, क्या इतना काफी नही है कि मै महात्मा गाँधी को बापू और भारत को माँ कहता हूँ।
क्या खुद को आपसे बचाने के लिए मुझे सबूत प्रस्तुत करना होगा कि मै हिन्दू या मुसलमान हूँ ।
या मुझे मराठी सीखना होगा।
कितने शर्म कि बात है कि हम अपने आपको संसार की सबसे पुरानी और सनातन धर्म के मानने वाले कहते हैं और ऐसा व्यवहार क्या हमे शोभा देता है।
नहीं बिल्कुल नहीं हम बिल्कुल वैसे नहीं हैं जैसा कन्हैया, हार्दिक, राज और उद्धव ठाकरे ने हमे प्रस्तुत किया है।
हमे लड़ना है उनकी सोच से उनकी बिचारधारा से और उनकी बौनी मानसिकता से तभी हम सिद्ध कर पाएंगे की हम एक महान देश के महान बिचारधारा से संबंध रखते हैं और आइए हम कसम खायें कि हम ये सिद्ध करके रहेंगे।।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments