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इस चर्चा में आपका भी स्वागत है…

ummeed
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एक साल बाद एक फिर से चुनाव के तीनों साथी अपने उसी तयशुदा ठिकाने पर मिले. विधानसभा के चुनाव की खुमारी पूरी तरह से उतर चुकी थी. अब लोकसभा चुनाव में माल बनाने की तमन्ना मन में थी. चुनाव बड़ा तो प्लानिंग भी बड़ी. दिन भर के थकान के बाद दो-दो पैग भी बनते थे. तो सभी अपने-अपने देसी पौवे लेकर आए थे. (उसूल, दो पैग तो सिर्फ दो पैग). खैर मंडली जम चुकी थी. अरे, अब दोबारा से परिचय कराना पड़ेगा. तो लीजिए इनका प्रोफाइल. जी हां, अब ये धंधा भी हाइटेक हो चुका है. ओह सॉरी, धंधा नहीं बिजनेस.
नाम : पप्पू (पुलिस रिकॉर्ड में यही नाम है)
धंधा : वाहन चोरी (पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार)
चुनावी नाम : अजय कुमार
चुनावी धंधा : कैंपेनिंग गाडिय़ा सप्लाई करना.

नाम : जीतू (पुलिस रिकॉर्ड में यही नाम है)
धंधा : इललीगल लीकर (पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार)
चुनावी नाम : पीयूष अग्रवाल
चुनावी धंधा : कार्यकर्ताओं के खाने और पीने का इंतजाम करते हैं. (ऑफ द रिकॉर्ड पीने का इंतजाम कुछ ज्यादा करने के निर्देश हैं)

नाम : खट्टा (पुलिस रिकॉर्ड में यही नाम है)
धंधा : चोरी और मारपीट (पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार).
चुनावी नाम : अरमान.
चुनावी धंधा : उम्मीदवारों के फेसबुक आईडी को अपडेट रहना.
आइए आप सभी को तीनों की लाइव बातों का सीन बताते हैं…

खट्टा (पप्पू से) : और गाडिय़ों से कितना माल कमा रहा है.
पप्पू : अरे यार छोड़. गाडिय़ों का धंधा चुनावों का तक रोका हुआ.
जीतू : क्यों क्या हुआ? इसमें तो यार काफी प्रोफिट है. मैं तो तुझसे कुछ गाडिय़ों की डील करने के बारे सोच रहा था.
पप्पू (एक लंबा घूंट भरते हुए) : अमा छोड़ों यार. आजकल दूसरे धंधे में आया हूं. गाड़ी सप्लाई करने के धंधे में. विधानसभा वाले नेताजी ने बुलाया था. पूरा प्रोफाइल ही चेंज कर डाला.
खट्टा : अरे वाह, आ गया तेरे नेताजी का तुझे भी फोन. मैं तो पिछले कुछ दिनों से अपने नेता के साथ काम भी कर रहा हूं. काम कुछ नहीं थके हुए कार्यकर्ताओं को खाना पीना करना. पीने के बारे में ज्यादा कांसनट्रेट करना.
जीतू : अरे भाई अपने नेता जी के फेसबुक प्रोफाइल को अपडेट कर रहा हूं. पूरे दिन लैपटॉप पर रहता हूं. रंगीन तस्वीरें देखने के अलावा थोड़ा बहुत स्टेटस अपडेट कर देता हूं. मेरा नेता मुझे इस काम के 25 हजार रुपए हर महीने के दे रहा.
खट्टा : तू तो सही रहा यार. मजे की नौकरी कर रहा है. लैपटॉप, इंटरनेट और भी मौज के सामान होंगे वहां पर.
जीतू : ये नौकरी नहीं धंधा है. 25 हजार तो पब्लिक और बाकी लोगों को दिखाने के लिए. तुझे पता नहीं मेरे इलाके में मुझे लोग कितना मानते हैं. बाकी इलाकों के भी गुंडे मुझे कितना मानते हैं. सब वो का खेल है बाप. प्योर बिजनेस हर वोट का दो हजार रुपए मिल रहा है.
खट्टा (पूरा गिलास गटकते हुए) : मेरे वाला तो महाचोर निकला. सिर्फ हजार रुपए दे रहा है वोट के.
पप्पू : रख ले जैसी तेरी पार्टी में नेता और कैंडीडेट है. वो सही दे रहा है. देखा नहीं बिना रुपयों के उसके पीछे कितने लोग पागल हो रहे हैं. जिसकी हालत पतली होती है. वो ही नोट बांटता है और हम जैसों की खाली जेबों को भरता है. मुझे तो 1500 रुपए पर वोट मिल रहे हैं.
खट्टा : दोस्तों मेरे नेता के लोग कह रहे थे कि इस बार पार्टी इतनी दारू की बॉटल नहीं नहीं दे रही है कार्यकर्ताओं को जितने लैपटॉप दे रही है. कह रहे हैं जितनी जल्दी हो सके हाईटेक हो जाओ फेसबुक और ट्वीटर पर लग जाओ और अपने नेताजी के गुणगान गाओ.
पप्पू : यार अब कोई धूप में टांट सेंकने को तैयार नहीं है. सब हाईटेक हो गया है. कैंडीडेट पढ़े लिखें लोगों से सोशल साइट्स पर ऑनलाइन बात करता है. और बेकार के इलाकों में हम जैसों से रुपए और शराब बंटवाता है.
जीतू : प्योर बिजनेस है भाई. मैं तो कहता हूं छोड़ते हैं ये दो नंबर के धंधे इसी में अपने आप कोउ आगे बढ़ाते हैं. वैसे भी अब तो कार्यकता भी एक स्टेट से दूसरे स्टेट में आउट सोर्स हो रहे हैं. सुना है. मोटी कमाई है.
(तीनों एक दूसरे की शक्ल देखते हैं.)
तीनों के एक साथ : डन.
उसके बाद तीनों एक सुकून भरी मुस्कान के साथ आंखे बंद कर सो जाते हैं…

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