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दोस्तों दिल्ली में दामिनी की घटना के बाद वूमेंस पॉवर तरह-तरह की मांग करने लगी हैं. इलाहाबाद में एक प्रोग्राम में तो कुछ महिलाओं ने मर्दों पर घर से बाहर निकलने पर ही रोक लगाने की बात कह डाली. तर्क था कि देश भर में जितने भी क्राइम हो रहे हैं वो मर्द ही कर रहे हैं. कहना भी ठीक है. मैंने सोचा कि अगर मर्दों के घर से निकलने पर रोक लगा दी जाए तो क्या होगा…
घर में कैद: पुरुषों को हमेशा घर पर ही रहना पड़ेगा. घर पर रहेंगे तो खाना भी बनाना पड़ेगा और दूसरे काम करने पड़ेंगे. और महिलाओं को बाहर का काम करना पड़ेगा. सभी महिलाओं को नौकरी भी करनी पड़ेगी.
लेट नाइट: देर रात महिलाएं बाजार में जा सकेंगी. कहीं कोई डर नहीं होगा कि कोई उनकी चेन लुट जाएगी या पर्स छिन जाएगा. निडर होकर सुबह से रात तक महिलाएं निकल सकेंगी.
बाजार : शहर के मॉल, सभी बाजार दुकानों पर महिलाएं या लड़कियां ही कार्यरत होंगी. शॉपिंग करने वाली भी अधिकांश महिलाएं होंगी, मर्द इक्का-दुक्का होंगी. इस तरह कोई क्राइम की आशंका नहीं रहेगी.
शराब : शराब से कई घर बर्बाद हो चुके हैं. शराब पीने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. इस पर भी रोक लग सकेगी. हो सकता है शहर की कई दुकानें भी बंद हो जाएं.
थाने की जरूरत : पुलिस की जरूरत कम ही पड़ेगी. क्योंकि उन्हें कोई फोन करके ये शिकायत नहीं करेगा कि कहीं चेन लूट ली गई या कहीं डकैती पड़ गई है. सारे मर्द तो घर में कैद होंगे.
छेडख़ानी: मेरठ जैसे शहर में छेडख़ानी के सबसे अधिक मामले आते हैं. ये सौ फीसदी बंद हो जाएगी. ना तो गुंडा दमन दल बनाने की जरूरत होगी और न छेडख़ानी को लेकर अखबारों में खबर बनेगी.
फेमिली एलाऊ: पापा तभी निकल सकेंगे जब उनकी मम्मी चाहेंगी. पूरा परिवार एक साथ निकले तभी मर्द को निकलने की अनुमति मिले. मर्दों को लाइसेंस देकर भी घर से बाहर निकलने की अनुमति दी जा सकती है.
एक साल : ये व्यवस्था एक साल के लिए लागू कर दी जाए. अगर इसका कोई उल्लंघन करता है तो उसे तुरंत गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया जाए. जमानत तभी हो जब घर की महिलाएं गारंटी लें.
एमएमएस : पुरुषों के हाथ में मोबाइल पर रोक होगी तो कोई एमएमएस नहीं बना सकेगा. कोई लडक़ा धमकी नहीं दे सकेगा. अश्लील एमएमएस बनने पूरी तरह बंद हो जाएंगे. लडक़ी दूसरी लडक़ी का एमएमएस बिल्कुल नहीं बनाएगी.
रंगदारी बंद: नकाबपोश बदमाशों का डर खत्म हो जाएगा. किडनैपिंग भी बंद हो जाएगी क्योंकि ये भी ज्यादातर पुरुष ही करते हैं. व्यापारियों से वसूली और रंगदारी मांगना भी बंद हो जाएगा.
सिटी ट्रांसपोर्ट: आटो हो या सिटी बस. कहीं कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. क्योंकि इसमें मर्द बैठेगा ही नहीं. चालक, कंडक्टर भी महिलाएं ही होंगी.
फोबिया होगा दूर
कामकाजी महिलाओं के दिल से लेट नाइट लौटने का फोबिया दूर हो जाएगा. घर जल्दी जाने का प्रेशर भी घटेगा. महिलाएं ठीक से काम कर सकेगी. कोई उन्हें रात में परेशान नहीं कर सकेगा. रात में महिलाएं किसी मल्टीप्लेक्स में जाकर फिल्म भी देख सकेंगी.
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