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आपने कभी टू व्हीलर ड्राइव करती फीमेल का चालान होते नहीं देखा होगा. ऐसा नहीं है कि महिलाओं का चालान करने पर मनाही है. लेकिन हमारा प्रशासन ही अवेयर नहीं है. यहां तक की टू व्हीलर की बैक सीट पर बैठी महिलाओं के लिए भी हेलमेट उतना ही जरूरी है, जितना ड्राइव करने वाली महिलाओं के लिए. शहरों की बात करें तो 97 परसेंट लाईसेंस होल्डर फीमेल टू व्हीलर ड्राइव करते वक्त न तो हेलमेट लगाती हैं और न ही अन्य रूल्स फॉलो करती हैं. ताज्जुब की बात तो ये है कि सरकार और कोर्ट ने फीमेल्स को हेलमेट न पहनने की ऐसी कोई छूट नहीं दी हुई है.
नहीं लगाती हेलमेट
ड्राइविंग करते वक्त हेलमेट लगाना सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं. अखबारों के इश्तहारों, टीवी विज्ञापनों, मुख्य चौराहों पर ट्रैफिक हवलदारों (जो अमूमन दिखते नहीं हैं) द्वारा सिर्फ पुरुषों को ही यही नसीहत दी जाती है. बैक सीट बैठने वाली महिलाओं से नहीं पूछा जाता कि आपका हेलमेट कहां है? वहीं ड्राइव करने वाली महिलाओं को तो रोकता ही नहीं.
कोई इन्हें भी नसीहत दे
खैर महिलाओं को नसीहत देने का काम तो भगवान के लिए भी मुश्किल है. फिर भी उनकी सुरक्षा के लिए नसीहत देने में क्या बुराई है. सरकार को अब पुरुषों को छोड़ महिलाओं को ध्यान में रखकर ट्रैफिक नियमों को फॉलो कराने वाले विज्ञापन तैयार कराने चाहिए. यहां तक कि मुख्य चौराहों पर ट्रैफिक हवलदारों को ट्रैफिक नियमों के लीफलेट देकर ड्यूटी लगानी चाहिए, ताकि वो हेलमेट और नियम फॉलो न करने वाली महिलाओं को रोककर नियमों का लीफलेट दे सके.
पुरुष संगठन सक्रिय हों
हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा का काम पुरुषों के हाथ में हैं(ये आम धारणा हैं). यहां भी पुरुषों को ही अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा. इसके लिए शहर के विभिन्न पुरुष संगठनों को महिलाओं को हेलमेट की अहमियत और ट्रैफिक नियमों से अवेयर कराने के लिए कैंप लगाने चाहिए. इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस के साथ संयुक्त रूप से महिलाओं को डिवोटिड महिला ट्रैफिक सप्ताह मनाना चाहिए. इस दौरान बिना हेलमेट टू व्हीलर ड्राइव करने वाली महिलाओं को निशुल्क हेलमेट वितरित करने चाहिए. ताकि अति व्यस्त कामकाजी महिलाओं का हेलमेट खरीदने में समय और रुपए बर्बाद न हों.
टीनेजर्स गल्र्स भी
शहरों में फीमेल का ऐसा तबका भी है, जिनके पास लाईसेंस नहीं हैं. स्कूलों के बाहर सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और दोपहर 1 से 2 बजे तक बिना हेलमेट के गल्र्स को टू व्हीलर्स ड्राइव करते देख सकते हैं. कटरीना गुल पनाग, करीना, अनुष्का को अपना आदर्श मानने वाली टीनेज गल्र्स को ये ध्यान रखने की जरुरत है कि ये बॉलीवुड गल्र्स टू व्हीलर ड्राइव करते वक्त हेलमेट लगाती हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इनके पास लाइसेंस हैं. जबकि स्कूल में पढऩे वाली टीनेज गल्र्स के पास नहीं.
आखिर क्यों नहीं लगाती हेलमेट
फीमेल के हेलमेट न लगाने के कई कारण हैं. अपनी छोटी सी बाइक को थंडरबर्ड समझने वाली एक लडक़ी का कहना है कि जब स्टॉल और स्कार्फ से काम चल जाता है तो हेलमेट की क्या जरूरत है. इसके अलावा हेलमेट लगाने से बालों से की ड्रेसिंग खराब हो जाती है. वैसे फर्क भी क्या पड़ता है हमें कोई रोकता तो है नहीं. उसने आगे बताया कि हेलमेट लगाने से बहुत सफोकेशन होता है. एक बात और हेलमेट लगाने से उनका मेकअप खराब हो जाता है. जब हमने सौंदर्य विशेषज्ञ से पूछा तो उन्होंने बताया कि टू-व्हीलर ड्राइव करने वाली फीमेल हेलमेट इसलिए नहीं लगाती क्योंकि उन्हें मेकअप खराब होने का डर रहता है. वैसे सुरक्षा की दृष्टि से हेलमेट टू-व्हीलर ड्राइव और बैक सीट पर बैठने वाली सभी महिलाओं के लिए जरूरी हैं. ऐसे में उन्हें वाटर प्रूफ मेकअप का यूज करना चाहिए.
ट्रैफिक पुलिस अवेयर नहीं
अब जब टै्रफिक पुलिस ही अवेयर नहीं तो किया भी क्या जा सकता है? शायद टै्रफिक पुलिस को यही सिखाया गया है कि ट्रैफिक के नियम सिर्फ पुरुष ही तोड़ते हैं. मगर कानून की ऐसी कोई सी किताब में नहीं लिखा कि फीमेल ड्राइवर्स का चालान नहीं काटा जा सकता. अभी हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक डिसीजन में कहा है कि हेलमेट तो उनके लिए भी जरूरी है, जो टू-व्हीलर के बैक सीट बैठती हैं.
ट्रैफिक पुलिस के बहाने
फीमेल ड्राइवर्स के चालान न काटने का ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों के पास एक जबरदस्त बहाना है. उनका कहना है कि महिलाओं का चालान काटने के लिए एक भी महिला टै्रफिक पुलिस कर्मी नहीं है. जबकि महिला ट्रैफिक पुलिस कर्मी की जरूरत तब पड़ती है जब महिला ड्राइवर नशे में हो, किसी अपराधिक घटना में संलिप्त हो और कभी-कभी (दिखावे की) चेकिंग के दौरान. नॉर्मली हेलमेट न लगाने, लाइसेंस न होने, टू-व्हीलर के डॉक्यूमेंट्स न होने, रांग साइड पर गाड़ी ड्राइव करने या नो पार्किंग में गाड़ी पार्क करने पर पुरुष ट्रैफिक पुलिस कर्मी को भी महिला का चालान करने का पूरा अधिकार है.
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