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कथित मानवाधिकारवादियों को “सटीक” जवाब देना तो कोई कनाडा के रक्षा मंत्री गॉर्डन कॉनर से सीखे… मजेदार लेकिन सत्य किस्सा है –
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कनाडा की एक महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता लगातार कनाडा सरकार को पत्र लिखकर अफ़गानिस्तान में कैद किए गए तालिबानी और अल-कायदा आतंकवादियों की अमानवीय(?) हालत, जेलों में उनके साथ बुरे सलूक इत्यादि के बारे में परेशान करती रहती थी…
अन्ततः कनाडा के रक्षा मंत्री ने उस महिला को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि –
“मोहतरमा, आपको यह जानकर खुशी होगी कि आतंकवादियों के प्रति आपकी मानवीय चिंताओं को देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि मोहम्मद बिन मेहमूद नामक आतंकवादी अब आपकी निगरानी में आपके घर पर ही रहेगा, ताकि आप उसके साथ मानवीय एवं उचित व्यवहार कर सकें…। सरकार की तरफ़ से मैं आपको सिर्फ़ कुछ दिशानिर्देश देना चाहता हूँ, ताकि आपकी परेशानी कम की जा सके…
1) बिन मेहमूद, एक खतरनाक, हिंसक और पागल किस्म का आतंकवादी है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि आप अपने सदव्यवहार और मानवाधिकारवादी वचनों से उसे सुधार लेंगी…
2) जो आतंकवादी हम आपकी निगरानी में भेज रहे हैं, वह साबुन, पेंसिल और कीलों का उपयोग करके एक घातक बम बनाने में माहिर है… अतः कृपया आप अपने मानवाधिकार और सदव्यवहार का उपयोग करते हुए अपने घर के कमरों में यह वस्तुएं ना रखें…
3) चूंकि वह अफ़गानिस्तान से आपके यहाँ भेजा जा रहा है, अतः आप और आपकी बेटी को अपने ड्रेस-कोड का विशेष खयाल रखना होगा, परन्तु हमें विश्वास है कि आतंकवादी को सुधारने के लिए आप इतना त्याग तो कर ही लेंगी…
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कृपया अपनी सुविधानुसार एक तारीख बताएं ताकि उस दिन हम बिन महमूद को आपकी निगरानी में दे सकें और आप मानवाधिकारों सहित उसका पूरा खयाल रख सकें…
उस दिन के बाद से कनाडा सरकार को “मानवाधिकार” सम्बन्धी लेक्चर से भरा, उस महिला का कोई पत्र नहीं मिला…
आईये हम भी सरकार से माँग करें कि, कसाब को तीस्ता के घर, अफ़ज़ल को शबनम हाशमी के घर और अबू सलेम को शबाना आज़मी के घर पर रखा जाए… ताकि वे इन्हें “करीब” से जान-समझ सकें और उनके मानवाधिकारों की रक्षा भी हो जाएगी…
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