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मंजिल मिलेगी क्यों नहीं! (कविता)

kuldeeppandeyajad
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सिर हार हो या जीत हो,
कोई नहीं भयभीत हो |
कर्तव्य पथ पर हम बढ़ें ,
संघर्ष यदि कम हो नहीं |
मंजिल मिलेगी क्यों नहीं ||

जब लक्ष्य पर ही हो नजर ,
अविरत बढ़ें अपनी डगर |
जीवन समर हर जीत लें ,
विश्वास यदि कम हो नहीं |
मंजिल मिलेगी क्यों नहीं ||

अविराम पथ पर बढ़ रहे ,
अवरोध विचलित कर रहे |
तूफान आते देख कर ,
भयभीत यदि हम हों नहीं |
मंजिल मिलेगी क्यों नहीं ||

पथ कंटकों से हो भरा ,
चाहे दिखे उपवन हरा |
मौसम सुनहरा देख यदि ,
रुकते डगर में हम नहीं |
मंजिल मिलेगी क्यों नहीं ||

मंजिल जिसे मिलती वही ,
क्या योजना करता सही ?
असफल हुआ राही कभी ,
यदि हौसला त्यागे नहीं |
मंजिल मिलेगी क्यों नहीं ||

सपने बुने हैं जो सभी ,
न भाग्य पर छोड़ो कभी |
भाग्य मेहनत है अगर ,
यह मान कर चलते कहीं |
मंजिल मिलेगी क्यों नहीं ||

कुलदीप पाण्डेय ‘आजाद’
गोण्डा,(उ.प्र.)

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