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अहंकारी भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड !

वर्तमान समाज
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अहंकारी भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड
आईपीएल का त्यौहार शुरू हो चुका है होली,दीपावली की तरह ये भी भारत का एक त्यौहार बन चुका है पूरी भारत की जनता इस प्रतियोगिता के इन्तजार में रहती है क्योंकि यही वह समय है जब हम अपने बड़े से बड़े खिलाडियों को एक दुसरे के खिलाफ खेलते देखते हैं इस बार का आईपीएल भी हर बार की तरह  कुछ नया लेकर आया है जैसे कि बिग बैश लीग  की तरह “ओंन फ़ील्ड माइक्रोफोन” शुरू कर दिया गया है लेकिन ये सब कुछ तो ठीक है परेशानी दर्शकों के लिए ये है कि दर्शकों के चहेते भाष्यकार यानि कमेंटेटर हर्षा भोगले का अनुबंध भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड ने खत्म कर दिया है  अचंभित होकर जब हर्षा ने ट्वीट किया तो सब अचंभित हो गये उन्होंने लिखा कि अच्छा होता कि मैं इस आईपीएल का एक हिस्सा होता है अब ये बिलकुल अचंभित वाली बात इसलिए है क्योंकि न केवल हर्षा आईपीएल से 2008 से जुड़े हुए हैं अपितु क्रिकेट से 80 के दशक से जुड़े हुए हैं और शाएद पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो बिना कोई क्रिकेट खेले भाष्यकार बने यह उनका खेल के प्रति प्रेम तो दर्शाता है ही लेकिन उनकी अधभुत क्षमता का परिचय भी देता है वह ऑस्ट्रेलिया के ABC radio के लिए भी कार्य कर चुके हैं जब हम लोगों ने इसके पीछे का कारण जानने का प्रयास किया तो ऐसे संकेत मिले की भारत-बांग्लादेश t20 विश्वकप मैच में भारत के खिलाडियों की तारीफ की बजाये बांग्लादेश के बारे में बात कर रहे थे  और किसी सिने अभिनेता ने ये बात कह डाली की इन भाष्यकारों को भारतीय खिलाडियों की ज्यादा बात करनी चाहिये हालंकि ये बात हर्षा ने लिखकर बता डाली की ये अन्तराष्ट्रीय ब्रोडकास्ट है और इसमें दूसरे देश के लोग भी अपनी टीम को देख रहे हैं |अब इस बात से  तो जाहिर है की वो पूरे मैच में आप भारत की तारीफ तो नहीं कर सकते वैसे भी खेल में दो टीमें खेलती हैं और आपको उनकी गलतियों उनकी समझदारी सबका निष्पक्ष आंकलन करना पड़ता है लेकिन ये शर्म की बात है की भारत के हमारे खिलाडी भी अपनी आलोचना नहीं सुनना पंसद करते जबकि जो व्यक्ति आलोचना सुनना पंसंद करता है वाही सबसे ज्यादा सफल भी होता है आपके सामने ऑस्ट्रेलिया का उदहारण है यह एक ऐसा देश हैं जहां पर आपको खेल में आलोचना ज्यादा और प्रशंसा कम सुनने को मिलेगी और हम सब जानते हैं की ऑस्ट्रेलिया देश खेलों के मामले में शाएद विश्व में शीर्ष में अमेरिका के साथ है | इस सब के साथ भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड का रवैया भी हैरान करने वाला है इन्हें भी अपनी आलोचना सुननी पंसंद नहीं है और अपने को इस राष्ट्र के उच्चतम न्यायलय के सामान संज्ञा देते हैं हर्षा विश्व भर में अपनी बेहतरीन शैली के लिए प्रसिद हैं मुझे उनके द्वारा कहे कही उध्दरण मुझे याद हैं एक बार जब इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर व अब भाष्यकार ज्योफ्फ्री बायकाट ने कहा था की “सचिन भले ही एक बड़े बल्लेबाज हैं लेकिन उनका नाम लॉर्ड्स के ऑनर बोर्ड पर नहीं हैं तब हर्षा ने कहा था तो ये किसका नुकसान हैं बोर्ड का या सचिन का ? ज्योफ्फ्री बायकाट  ने इसके बाद कोई उत्तर नहीं दिया दुर्भाग्यवश हम दर्शकों को भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड के अहंकार का शिकार होना पद रहा हैं क्योंकि अभी आईपीएल में हिन्दी के कमेंटरी तो होती नहीं लेकिन शायरी,जुमले ,हल्ला ख़ूब चलता है भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड को अपने निर्णय पर पछतावा तो होगा ही लेकिन इस वर्ष हम सबको आईपीएल बिना हर्षा की आवाज के गुजारना होगा.

आईपीएल का त्यौहार शुरू हो चुका है होली,दीपावली की तरह ये भी भारत का एक त्यौहार बन चुका है पूरी भारत की जनता इस प्रतियोगिता के इन्तजार में रहती है क्योंकि यही वह समय है जब हम अपने बड़े से बड़े खिलाडियों को एक दुसरे के खिलाफ खेलते देखते हैं इस बार का आईपीएल भी हर बार की तरह  कुछ नया लेकर आया है जैसे कि बिग बैश लीग  की तरह “ओंन फ़ील्ड माइक्रोफोन” शुरू कर दिया गया है लेकिन ये सब कुछ तो ठीक है परेशानी दर्शकों के लिए ये है कि दर्शकों के चहेते भाष्यकार यानि कमेंटेटर हर्षा भोगले का अनुबंध भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड ने खत्म कर दिया है  अचंभित होकर जब हर्षा ने ट्वीट किया तो सब अचंभित हो गये उन्होंने लिखा कि अच्छा होता कि मैं इस आईपीएल का एक हिस्सा होता है अब ये बिलकुल अचंभित वाली बात इसलिए है क्योंकि न केवल हर्षा आईपीएल से 2008 से जुड़े हुए हैं अपितु क्रिकेट से 80 के दशक से जुड़े हुए हैं और शाएद पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो बिना कोई क्रिकेट खेले भाष्यकार बने यह उनका खेल के प्रति प्रेम तो दर्शाता है ही लेकिन उनकी अधभुत क्षमता का परिचय भी देता है वह ऑस्ट्रेलिया के ABC radio के लिए भी कार्य कर चुके हैं जब हम लोगों ने इसके पीछे का कारण जानने का प्रयास किया तो ऐसे संकेत मिले की भारत-बांग्लादेश t20 विश्वकप मैच में भारत के खिलाडियों की तारीफ की बजाये बांग्लादेश के बारे में बात कर रहे थे  और किसी सिने अभिनेता ने ये बात कह डाली की इन भाष्यकारों को भारतीय खिलाडियों की ज्यादा बात करनी चाहिये हालंकि ये बात हर्षा ने लिखकर बता डाली की ये अन्तराष्ट्रीय ब्रोडकास्ट है और इसमें दूसरे देश के लोग भी अपनी टीम को देख रहे हैं |अब इस बात से  तो जाहिर है की वो पूरे मैच में आप भारत की तारीफ तो नहीं कर सकते वैसे भी खेल में दो टीमें खेलती हैं और आपको उनकी गलतियों उनकी समझदारी सबका निष्पक्ष आंकलन करना पड़ता है लेकिन ये शर्म की बात है की भारत के हमारे खिलाडी भी अपनी आलोचना नहीं सुनना पंसद करते जबकि जो व्यक्ति आलोचना सुनना पंसंद करता है वाही सबसे ज्यादा सफल भी होता है आपके सामने ऑस्ट्रेलिया का उदहारण है यह एक ऐसा देश हैं जहां पर आपको खेल में आलोचना ज्यादा और प्रशंसा कम सुनने को मिलेगी और हम सब जानते हैं की ऑस्ट्रेलिया देश खेलों के मामले में शाएद विश्व में शीर्ष में अमेरिका के साथ है | इस सब के साथ भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड का रवैया भी हैरान करने वाला है इन्हें भी अपनी आलोचना सुननी पंसंद नहीं है और अपने को इस राष्ट्र के उच्चतम न्यायलय के सामान संज्ञा देते हैं हर्षा विश्व भर में अपनी बेहतरीन शैली के लिए प्रसिद हैं मुझे उनके द्वारा कहे कही उध्दरण मुझे याद हैं एक बार जब इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर व अब भाष्यकार ज्योफ्फ्री बायकाट ने कहा था की “सचिन भले ही एक बड़े बल्लेबाज हैं लेकिन उनका नाम लॉर्ड्स के ऑनर बोर्ड पर नहीं हैं तब हर्षा ने कहा था तो ये किसका नुकसान हैं बोर्ड का या सचिन का ? ज्योफ्फ्री बायकाट  ने इसके बाद कोई उत्तर नहीं दिया दुर्भाग्यवश हम दर्शकों को भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड के अहंकार का शिकार होना पद रहा हैं क्योंकि अभी आईपीएल में हिन्दी के कमेंटरी तो होती नहीं लेकिन शायरी,जुमले ,हल्ला ख़ूब चलता है भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड को अपने निर्णय पर पछतावा तो होगा ही लेकिन इस वर्ष हम सबको आईपीएल बिना हर्षा की आवाज के गुजारना होगा.

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