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परिवहन व संस्कृति की त्रिपुरा

वर्तमान समाज
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त्रिपुरा जब पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन )अधिनियम 1971 के तहत संघ राज्य क्षेत्र की स्थिति से उठाकर नया राज्य बना था तब नई उम्मीद के तहत इस क्षेत्र के लोगों को  एक आशा की किरण दिखाई दी की अब इस क्षेत्र पे अत्यधिक ध्यान दिया जायेगा लेकिन इसके लागु होने के 44 वर्ष बाद भी इस क्षेत्र की स्थिति में कोई खास बदलाव नही आया है. गाँव के टूटे फूटे रास्तों के बीच यह संवेदनशील राज्य अपने इतिहास को अच्छी  तरह बचाए रखे है ,एस.डी बरमन जैसे बेहतरीन संगीतकार इसी राज्य की दें थे ! पूर्वोत्तर क्षेत्र के बारे में जानने की मेरी जिज्ञासा की वजह से  मुझे इस क्षेत्र की संस्कृति के बारे में कई रोचक तथ्य मिलें हैं प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति तथा कला से सम्पूर्ण त्रिपुरा बेहद रोचक राज्य है विभिन्न जातियों, विभिन्न भाषाएँ बोलने वाले एवं धार्मिक समूहों के लोगों के निवास के कारण यहाँ बिभिन्न त्यौहार मनाये जातें हैं,बंगाली लोग राज्य का सबसे बड़ा जातीय- भाषाविद् समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन फिर भी अन्य समुदाय बंगाली त्योहारों का सम्मान करतें हैं ! विभिन्न रीती रिवाजों के बीच कई त्यौहार यहाँ मन्ये जाते हैं जिनमे से एक है खरची पूजा ऐतिहासिक रूप से इसमें बलि देना महत्वपूर्ण हैं इस दिन हजारों की संख्या में बकरी, मुर्गी, कबूतरों और हंसों की बलि दी जाती है,खरची पूजा के इस दिन समस्त त्रिपुरा के आदिवासी लोग अपने कुल देवता की पूजा करने और पुरानी संस्कृति को जोर शोर से मनाते हैं  दो प्रमुख वार्षिक उत्सव गडिया और कास  हैं, इनमें भी  पशुओं की बलि ही चढ़ाई जाती है! उनकोटी एक ऐतिहासिक स्थल है जिसपे शिवजी व गणेश की छवि बनी हुई है ! रियांग समुदाय, राज्य का दूसरा सबसे बड़ा अनुसूचित जनजाति समुदाय,मिट्टी के घड़े पर होजगिरी नृत्य युवा लड़कियों द्वारा किया जाता है !दुर्गा पूजा, काली पूजा अन्य राज्यों की तरह यहाँ भी मनाई जाती है  ! राज्य में केवल एक प्रमुख सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग 44 और जब हमारे मुख्य राज्यों के  राजमार्गों की स्थिति हमने देखी  है तो यह अंदाजा लगाया जा सकता है की इसकी दशा क्या  होगी मेरी समझ में यह बिलकुल नही आता की क्यों सभी सरकारें पूर्वोतर के प्रति इस तरह का नजरिया रखती हैं  इस राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं रेल परिवहन राज्य में २००८ तक मोजूद ही नही था तब असम के लुम्ब्डिंग से अगरतला के लिए रेल जोड़ी गयी थी.पूर्वोत्तर अपनी खास संस्कृति व् विविधता के लिए जाना जाता है यहाँ यदि सड़कों का विकास हो जाये तो भारत के प्रमुख शहरों के लोगों को यहाँ के बारे में जाननें का मौका मिल सकता है !

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