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देह की आज़ादी भी मिलेगी और कन्या से भी आज़ादी

मुद्दे की बात, कुमारेन्द्र के साथ
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आजादी भरे देश में आज सभी को आजादी उपलब्ध है। प्रत्येक व्यक्ति की आजादी अपने तरीके की परिभाषा निर्मित करती है। आजादी आदमियों के लिए कुछ और कहती है तो औरतों के लिए आजादी कुछ दूसरे किस्म की है। आजादी की यही परिभाषा युवाओं के लिए भी अलग सी ही है।

आजादी की इन विविध परिभाषाओं को बाजार ने भी अलग-अलग रूप से परिभाषित किया है। कोई अपनी देह की आजादी की मांग कर रहा है तो कोई आजादी के स्वरूप के द्वारा रहन-सहन की आजादी दिखा रहा है। बाजार ने सभी की आजादी के मध्य स्त्रियों को देह की आजादी की सुविधा प्रदान कर दी है।

विगत कुछ वर्षों से देखने में आ रहा है कि समाज में स्वतन्त्रता के मध्य देह की स्वतन्त्रता को स्थापित किया जाने लगा है। देह की इस स्वतन्त्रता ने सेक्स को बढ़ावा दिया है। यौन के प्रति बढ़ते आकर्षण और समाज के विविध वर्गों की विविध आजादी सम्बन्धी परिभाषाओं के कारण ही समलैंगिकता को भी कानूनी मान्यता देनी पड़ी।

समाज में स्वतन्त्रता को सिर्फ और सिर्फ देह से जोड़ने की कारण सेक्स को जबरदस्त रूप से प्रचार-प्रसार मिला है। इसको इस रूप में देखा जा सकता है कि किसी समय में परिवार नियोजन के लिए बनाये गये और प्रचारित किये साधन ‘निरोध’ को अब एड्स जैसी बीमारी की रोकथाम और सुरक्षित शारीरिक सम्बन्ध बनाने के सुरक्षित उपाय के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

इस साधन की सुरक्षा से भी असुरक्षा की स्थिति देश की आजाद ख्याल पीढ़ी के सामने रह जाती है। संवेगों और आवेगों की भावातिरेक भावना के मध्य कब असुरक्षित कदम उठ जाये पता ही नहीं चल पाता है। बाजार ने इससे निबटने का तरीका भी खोज लिया है।

विगत कुछ वर्षों से बाजार में महिलाओं के असुरक्षित यौन सम्बन्धों के रक्षार्थ कुछ गोलियां उपलब्ध होती आईं हैं। इन गोलियों का काम महिलाओं को गर्भधारण की चिन्ता से मुक्त करना रहा है। महिलाओं की इस चिन्ता को कई और एडवांस तरह की गोलियों ने समाप्त कर दिया है। अब बाजार में आ रही गोलियों के द्वारा महिलाओं को यौन सम्बन्धों की असुरक्षा की समस्या नहीं रह गई है। अनवांटेड-72 तरह की गोलियों के मध्य अब इस तरह की भी गोलियां आ गईं हैं जो गर्भपात करवाने के लिए महिलाओं को चिकित्सक तक जाने की परेशानी से भी मुक्त रखेंगीं।

यह किसी भी महिला के लिए उस परेशानी से निजात पाने की स्थिति होगी जो उसे गर्भपात के समय शारीरिक और मानसिक रूप से उत्पन्न होती है। देह का कष्ट, औजारों की चोट के साथ-साथ महिला के मन पर जो चोट लगती है उसको ये गोलियां बहुत हद तक समाप्त कर देंगीं। इस परेशानी की समाप्ति के पीछे से आती समस्या की ओर बाजार का ध्यान तो जाना ही नहीं था और जो महिलाएं इन गोलियों का समर्थन कर रहीं हैं वे भी इससे उत्पन्न समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रहीं हैं अथवा देना नहीं चाह रहीं हैं।

ga इन गोलियों से अवांछित गर्भधारण से यदि महिलाओं को मुक्ति मिलेगी, उन्हें अपनी देह की आजादी प्राप्त होगी, परिवार को नियंत्रित रखने की ओर एक कदम की बढ़ोत्तरी होगी तो साथ ही समाज को कई विसंगतियां भी प्राप्त होंगी। इन विसंगतियों में एक ओर यह तो है ही कि यौन सम्बन्धों को लेकर और उच्छृंखलता बढ़ेगी साथ ही वो युवा पीढ़ी जो सेक्स को अपने जीवन का दैनिक चर्या जैसा कार्य समझती है वह जाने-अनजाने गलत दिशा की ओर मुड़ जायेगी।

गर्भपात के लिए बनी इन गोलियों के परिणामस्वरूप महिलाओं में खून की कमी भी देखने को मिलेगी साथ ही उनको कई और प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ेगी। मेडीकल से जुड़े कई लोगों का विचार है कि इन गोलियों के साइड इफेक्ट भी हैं जो महिलाओं के शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालेंगीं। युवा लड़कियां जाने-अनजाने इस कारण से गम्भीर बीमारियों का भी शिकार हो सकती हैं।

महिलाओं के शरीर पर होने वाले कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव के अलावा एक और प्रकार की समस्या स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है और वह है कन्या भ्रूण हत्या के प्रति आसानी होना। अभी तक किसी डॉक्टर से गर्भपात करवाने को विवश होने वाले पति-पत्नी को अब किसी डॉक्टर की मदद नहीं लेनी है। अब वह सीधे-सीधे एक गोली के द्वारा गर्भ में पल रही बिटिया को आने से रोक सकते हैं।

समस्याओं से भरे इस देश में अभी लोगों को भ्रष्टाचार से लड़ने की फुर्सत नहीं है, भ्रष्टाचार करने की फुर्सत नहीं है, रिश्वत लेने-देने से फुर्सत नहीं है, अपराध करने से फुर्सत नहीं है, महिलाओं-पुरुषों को आपस में लड़ने से फुर्सत नहीं है, बाघ बचाने से फुर्सत नहीं है तो इन गोलियों की ओर अभी कौन देखेगा?

भले ही इन गोलियों के द्वारा महिलाओं को देह के प्रति आजादी भले ही मिल रही हो किन्तु उन सभी महिलाओं-पुरुषों को जो किसी न किसी रूप में कन्या भ्रूण हत्या निवारण कार्यक्रम में लगे हैं, इन गोलियों का विरोध करना चाहिए। हो सकता है कि बाजार की शक्तियों के चलते इस विरोध का कोई असर न हो किन्तु कम से कम हम अपनी युवा पीढ़ी को इस तरह के खतरे से आगाह तो कर ही सकते हैं।

चित्र गूगल छवियों से साभार

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