Menu
blogid : 3358 postid : 29

प्रेम का स्वरुप — (लघुकथा) — “Valentine Contest”

मुद्दे की बात, कुमारेन्द्र के साथ
मुद्दे की बात, कुमारेन्द्र के साथ
  • 547 Posts
  • 1118 Comments

तब – लड़का लड़की बाजार में पहजी बार मिले। एक झलक में लड़का लड़की का दीवाना हो गया। उसने आकर लड़की से कुछ पूछा। चुलबुली लड़की ने शोख अंदाज में हँसी-ठिठोली में हर सवाल का जवाब दिया। लड़की की कलात्मक चुनरी के बारे में पूछने पर लड़के को पता लगा कि लड़की की सगाई हो गई है। लड़की का प्यार, उसकी मोहक छवि, हँसी-ठिठोली, पहली मुलाकात लड़के के दिल में सदा बसी रही। और एक दिन लड़के ने मौत को हरा कर प्यार को अमर कर दिया क्योंकि ‘‘उसने कहा था।’’

अब – लड़के ने लड़की को देखा और प्यार हो गया। इंटरनेट पर चैटिंग, फोन पर बात और मोबाइल पर एस0एम0एस0 की बरसात हुई। लड़की ने लड़के को अपनी शादी के बारे में बताया। लड़का प्यार को देह, आकर्षण को हवस और समर्पण को कमजोरी से तौलने लगा। और एक दिन लड़के ने विश्वास को दरकिनार कर प्रेम को मौत दे दी; लड़की के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया क्योंकि ‘‘उसने ‘नहीं’ कहा था।’’

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh