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मिलकर सशक्त बनाना होगा गणतंत्र को

मुद्दे की बात, कुमारेन्द्र के साथ
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आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें.

हम सभी के लिए आज का दिन गौरव का दिन है. सन 1950 में आज ही के दिन हमारे संविधान को सम्पूर्ण देश में लागू किया गया. इसके लागू होते ही हमारा देश लोकतान्त्रिक व्यवस्था के साथ-साथ एक गणराज्य के रूप में भी जाना जाने लगा. विश्व के किसी और देश में ऐसी अद्भुत व्यवस्था शायद ही देखने को मिलती हो कि वहाँ केन्द्रीय सत्ता की प्रभुता के साथ-साथ राज्यों की प्रभुता को भी समान रूप से स्वीकारा गया है. संविधान निर्माताओं ने केंद्र के साथ-साथ राज्यों को भी पर्याप्त अधिकार दिए. नागरिकों को व्यापक अधिकार प्रदान किये. कर्तव्यों का निर्वहन, मौलिक अधिकारों की रक्षा आदि का सूत्रपात इसी संविधान के द्वारा होना आरम्भ हुआ. संविधान निर्माताओं ने अपने पास असीमित अधिकार होने के बाद भी केंद्र और राज्य के साथ-साथ सामान्य नागरिक को भी पर्याप्त अधिकार, पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान किये जाने की वकालत की थी. वे चाहते तो अधिकारों को सामाजिक रूप से लोकतान्त्रिक न बनाकर उसे भी वंशानुगत अथवा परिवार तक सीमित कर सकते थे. यकीनन उनका उद्देश्य देश के विकास में सभी की भूमिका, सभी नागरिकों की स्वतंत्र भागेदारी करना रहा होगा. इसी कारण से नागरिकों को स्वतंत्रता के साथ जीवन-यापन करने के पर्याप्त अधिकार संविधान निर्माताओं ने संविधान के माध्यम से उपलब्ध कराये हैं.

वैश्वीकरण, आधुनिकता, औद्योगीकरण के चलते इधर देखने में आ रहा है कि वर्तमान समय में बहुतेरे नागरिकों द्वारा स्वतन्त्रता, संविधान के नाम पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग होने लगा है. बहुत से लोग कर्तव्यों के स्थान पर अधिकारों की ही चर्चा को प्रमुखता देने लगे हैं. गणतन्त्र दिवस के इस शुभ अवसर पर बजाय इस बात के कि दूसरे ने क्या किया, दूसरे ने क्या नहीं किया हम इस बात पर विचार करें कि खुद हमने क्या किया है? यदि हम सामाजिक ताने-बाने पर नजर डालें तो स्थिति सुखद दिखाई देने के साथ-साथ दुखद भी दिख रही है. समाज में आज़ादी का, गणतंत्र का दुरुपयोग सा होने लगा है. अभी हाल की कुछ घटनाएँ विचलित कर देने वाली सामने आई हैं जिनमें कि हमारे नौनिहाल, हमारे बच्चे आक्रामकता का शिकार दिखाई दिए. गुडगांव के एक स्कूल में एक बच्चे की महज इसलिए हत्या कर दी जाती है कि उसकी मौत के बाद स्कूल में छुट्टी हो जाएगी. इसी तरह की वारदात लखनऊ के एक स्कूल में देखने को मिली. इसके साथ ही हरियाणा के यमुनानगर में एक छात्र ने अपनी प्रधानाचार्य की गोली मार कर इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उस छात्र को कुछ दिन के लिए स्कूल न आने की सजा दी गई थी. समझ से परे है कि आज़ादी के नाम पर हम सब किस तरह का समाज बनाते जा रहे हैं?

ऐसी स्थिति में हम सभी को विचार करना होगा कि क्या ऐसी स्थिति में वाकई हम संविधान का सम्मान करने की दशा में दिखते हैं? क्या ये स्थितियाँ हमें गणतन्त्र दिवस मनाने की अनुमति देतीं हैं? क्या इस तरह से हम अपनी आजादी दिलाने वाले शहीदों के प्रति सच्ची श्रृद्धांजलि अर्पित कर पाने के अधिकारी हैं? सवाल बहुत से हैं. उनको खोजने के लिए समूचे देश को एक होना पड़ेगा. सभी को वर्ग, जाति, धर्म के तमाम खांचों से बाहर निकल कर देशहित में काम करना होगा. आइये एकबार मिलकर विचार करें कि लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को कैसे मजबूत बनाया जाये? कैसे अपने गणतंत्र को सशक्त बनाया जाये? संविधान के प्रति आस्था को और गहरा करने के लिए स्वच्छ वातावरण को बनायें और अपनाएं. एकजुट होकर गणतन्त्र दिवस मनायें. देश को सशक्त बनायें. देशवासियों को सफल बनायें.

आप सभी को पुनः गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें… जयहिन्द

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