Menu
blogid : 3358 postid : 36

युवा राजनीति में भी देखें देश-हित और अपना कैरियर

मुद्दे की बात, कुमारेन्द्र के साथ
मुद्दे की बात, कुमारेन्द्र के साथ
  • 547 Posts
  • 1118 Comments

इधर
कुछ दिनों से देखने में आ रहा है कि देश में जबसे भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम छिड़ी है तभी से लगभग सभी लोग राजनीति को गाली देने में लगे हैं। राजनीति को गरियाने के साथ ही साथ राजनेताओं को भी गाली दी जाने लगी है। गरियाने के इस क्रम में यह तो आसानी से स्वीकारा जा सकता है कि आज ज्यादातर नेता भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं, अधिकतर किसी न किसी प्रकार के घोटालों में, किसी न किसी आपराधिक प्रकरण में लिप्त हैं।



इस
पूरी व्यवस्था को कोसने के पूर्व यदि हम अपने क्रियाकलापों, अपनी जागरूकता पर निगाह डालें तो हम ही स्वयं में सबसे बड़े दोषी नजर आयेंगे। हमारे देश की संसद और तमाम विधान सभाओं में एक निश्चित समयान्तराल के बाद चुनाव होता है और दोनों ही जगहों के लिए एक निश्चित सीट पर सांसदों, विधायकों का चुनाव किया जाता है।

इसी
क्रम में हम विचार करें कि यदि पांच वर्षों के अन्तराल में होने वाला चुनाव आया और प्रत्याशियों में सभी जगह पर केवल आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति ही दिखाई देने लगे तो क्या हमारे संविधान में, संसद में, न्यायालय में इस बात का प्रावधान है कि चुनाव को टाल दिया जाये? इसका जवाब शायद न में हो।

अब
बात वहीं घूम फिर कर आती है कि चुनाव का निर्धारित समय किसी लिहाज से टाला नहीं जा सकता है और सदन की निर्धारित सीटों को अपने निश्चित समय पर भरा ही जाना है। ऐसे में यदि भले लोग उन्हें भरने को आगे नहीं आयेंगे तो जो भी सामने दिखेगा सदन उसी को अगले निर्धारित समय के लिए अपने में समाहित कर लेगा।

ऐसी
स्थिति में दोष हमारा ही है कि हमने स्वयं अपने को अच्छा माना भी है और पीछे खींचा भी है। राजनीति को गाली देने वाले विचार करें कि यदि देश से राजनीति को एक पल को समाप्त कर दिया जाये तो क्या देश एक कदम भी आगे बढ़ सकेगा? किसी भी देश के आगे बढ़ने का रास्ता राजनीति से ही निकलता है। बिना कुछ सोचे-विचारे हमने बस अपनी जीभ को चलाना शुरू कर दिया।

हम
सब अपने पारिवारिक क्रियाकलापों पर विचार करें और बतायें कि जिनका सीधे तौर पर राजनीतिक क्षेत्र से सम्बन्ध नहीं है उन्होंने अपने बेटे–बेटी को राजनीति में कैरियर बनाने को प्रोत्साहित किया। हमारे देश की बिडम्बना है कि एक क्लर्क, एक चपरासी, एक मजदूर अपनी संतान को आई0ए0एस0 बनाने के सपने देखता है जबकि उसका दूर-दूर तक आई0ए0एस0 से कोई सम्बन्ध नहीं होता है किन्तु अच्छे–अच्छे बुद्धिजीवियों को, जिनका देश के विकास के प्रति कोई दायित्व है, उन्हें भी अपने बच्चों को राजनीति से दूर करते हुए देखा है। ऐसे में हम गाली किसे और क्यों दे रहे हैं?



हमारा
प्रयास हो कि हम अपने बच्चों में राजनीति के प्रति कुछ जागरूकता पैदा करें, उन्हें समझायें कि इस क्षेत्र को भी कैरियर के रूप में अपनाया जा सकता है। आज की पीढ़ी को समझाने की आवश्यकता है कि सिर्फ मल्टीनेशनल कम्पनियों के लुभावने पैकेज को प्राप्त कर लेना ही देश–सेवा नहीं है, देश–सेवा का एक रास्ता राजनीति से भी होकर जाता है। यदिहमआनेवालेसमयमेंदेशहितकोध्यानमेंरखकरयुवाओंकोसक्रियराजनीतिमेंउतारसकेतोयकीनमानियेकिआपराधिकतत्वोंकोजेलोंमेंजगहमिलेगीऔरदेशकेसमस्तसदनसकारात्मक, सक्रियतापूर्ण, उत्साही, जागरूक, कर्मठ, चिन्तशीलराजनेताओंसेसुशोभितदिखेंगे।

दोनों चित्र गूगल छवियों से साभार

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh