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यौनिक शक्ति परीक्षण-प्रदर्शन हेतु रियलिटी शो जल्द ही

मुद्दे की बात, कुमारेन्द्र के साथ
मुद्दे की बात, कुमारेन्द्र के साथ
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फिर एक सवाल मन में घुमड़ा कि इस तरह के सीरियल क्यों दिखाये जा रहे हैं और क्यों देखे जा रहे हैं? सवाल आज नहीं आया है, पहले भी आता रहा है और कई बार इसका जवाब पाने का प्रयास भी किया है किन्तु…..।

इस बार इस कारण से इस पर लिखने का विचार बनाया क्योंकि अभी हाल ही में न्यायालय की ओर से टी0वी0 पर दिखाये जा रहे दो सीरियल में से एक को अपने पूर्व निर्धारित समय पर दिखाये जाने की अनुमति दे दी थी जबकि दूसरा सीरियल प्राइम टाइम के बजाय रात को ग्यारह बजे के बाद दिखाया जाने लगा है। ये सीरियल हैं क्रमशः बिग बॉस और राखी का इंसाफ।

हम इन दोनों सीरियल का कोई विश्लेषणात्मक खाका यहाँ रखने नहीं आये हैं। अकसर होता यह है कि हमारे रात्रि के भोजन का समय नौ-साढ़े नौ बजे के आसपास ही रहता है। इस समय अपनी आदतानुसार टी0वी0 के रिमोट से खेलते भी रहते हैं। इसी खेल-खेल में समाचारों पर निगाह डाल लेते हैं और इस दौरान जो सीरियल थोड़ा बहुत आँखों के सामने से गुजरता रहता है उसे भी देखते चलते हैं।

रिमोट और टी0वी0 के इस खेल में बिग बॉस से भी सामना होता रहता है। कई बार सामना होने पर हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की मित्रता देखते ही बनी। खुलेआम होता प्रेमालाप और कभी-कभी छिपे रूप में होता हुआ किसी न किसी रूप में भारत-पाकिस्तान की मित्रता को पक्का करता सा नजर आया। हद तो अभी हाल ही में हो गई जबकि मुँहचाई होते दिखी।


चित्र गूगल छवियों से साभार

जुबान के चलने की स्पीड इतनी थी कि हमारे रिमोट के द्वारा चैनल बदलने की स्पीड कम पड़ गई। हारने के डर से हमारे रिमोट ने आगे बढ़ने से मना कर दिया। इसके अलावा एक कारण और था और वो था हमारा आम भारतीय मन होना (किसी के झगड़े को, खास तौर से जिनमें महिलाएँ शामिल हों विशेष रूप से, पूरे मजे ले–लेकर देखना)। हमने भी अपनी आँखें फाड़-फाड़ कर ड्रामा देखा, क्या गजब शब्दावली, क्या शालीनता भरा प्रदर्शन, क्या अदब से भरी हरकतें, फिर याद आया कि यहाँ तो झगड़ा हो रहा है। अब यह बात तो हमें याद रखनी चाहिए थी कि जब झगड़ा हो रहा हो, चाहे वह गली–कूचे में हो अथवा नेशनल टी0वी0 पर उसमें गाली–गलौज, अश्लील भाव–भंगिमाएँ तो आयेंगी हीं।

बहरहाल आज पता चला (अपने घरेलू जासूसों से) कि पाकिस्तान प्रेमदूत को आज भारतीय दर्शकों ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब क्या बचा दर्शकों को देखने के लिए, आधी फूहड़ता तो चली ही गई?

मामला एक-दो सीरियल का नहीं है, ऐसा तो लगभग हर दूसरे सीरियल में हो रहा है। किसी में सीन के नाम पर, किसी में कहानी के नाम पर। सीरियल निर्माता–निर्देशकों का वश नहीं चल रहा है नहीं तो वे रियलिटी शो के नाम पर तो बेडरूम के नजारों को भी पेश कर दें, वैसे बाल हास्य कलाकारों के द्वारा वे इस कमी को पूरा करने की भरसक कुत्सित कोशिश कर भी लेते हैं।

अरे! हम क्या कहने लगे? अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ने, आधुनिकता में शामिल होने की दौड़ ने सभी को नंगा कर दिया है (अब अंधा होने की कोई बात रह ही नहीं गई है)। आने वाले समय में भी न्यायालयों की ओर से इस तरह की फूहड़ता को और बल मिलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जबकि बिग बॉस जैसे कार्यक्रमों में खुले आम शारीरिक संसर्ग करने के दृश्य भी देखने को मिल जाया करेंगे (आखिर एक कमरे में लेटना-सोना-बिना पर्दे के कपड़े बदलना तो दिखाया ही जा रहा है)

आइये अब इंतजार करें एक रियलिटी शो का जिसमें आपकी प्रतिभा का नहीं, आपकी कला का नहीं, आपकी साहित्यिकता का नहीं, आपके खेल का नहीं वरन् आपकी यौनिक शक्ति का प्रदर्शन–परीक्षण किया जायेगा (आखिर शादियाँ तो रियलिटी शो के द्वारा दिखाई ही जा चुकी हैं, अब शेष तो उसके बाद का ही दिखाने को बचा है)। तो आप भी सोचिए और हम भी सोचते हैं ऐसे किसी विशिष्ट कार्यक्रम का नाम जिसमें होगा घर के आपके नितान्त निजी कमरे के नितान्त क्षणों का खुलेआम प्रदर्शन।

सोचिए, सोचिए….नाम सोचिए।

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