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मासिक धर्म के प्रभाव, समस्याएं और निदान

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आज हम उस विषय पे चर्चा करने जा रहे हैं, जिस पर चर्चा करना आज के वैज्ञानिक युग और स्त्री सशक्तिकरण के दौर में हमारे भारत देश के हर इलाके में जरूरी ही नहीं बल्कि अनिवार्य होना चाहिए। हाँ, तो वो विषय है – पीरियड्स यानि माहवारी। आज की पीरियड्स पे चर्चा में हम पीरियड्स के विभिन्न पहलुओं के बारे में जान रहे हैं कि असल में पीरियड्स होता क्या है? उसके क्या कारण हैं? पीरियड्स में होने वाली समस्याएँ क्या हैं और उनके समाधान क्या हैं? पीरियड्स जागरूकता अभियान क्या है? आदि – आदि।

 

 

सबसे पहले हम पीरियड्स के बारे में जान लेते हैं। पीरियड्स यानि माहवारी एक जैववैज्ञानिक क्रिया (बायलोजिकल प्रोसेस) है, जो सामान्य तौर पर 10 से 15 साल आयु वाली लड़कियों में शुरू होती है और स्त्री के जीवन में लगातार चलती रहती है। सामान्य तौर पर महीने में एक बार ही सामान्यतः 28 से 32 दिनों के अन्तराल पर स्त्रियों में होने वाले प्राकृतिक रुधिर स्राव (ब्लीडिंग) को ही पीरियड्स माना जाता है। जो दुनिया के जीवन चक्र को चलाने के लिए अनिवार्य क्रिया, प्रजनन के लिए बहुत जरूरी भी है।

 

 

ज्यादातर पीरियड्स का समय तीन से पाँच दिन रहता है, परन्तु दो से सात दिन तक की कालावधि को नॉर्मल माना जाता है। सभी स्त्री और पुरुषों के लिए सबसे जरूरी बात ये है कि पीरियड्स के किसी भी समय गर्भाधान (प्रेगनेंसी) होने की सम्भावना रहती है। इसलिए अवैधानिक प्रेगनेंसी से बचने के लिए परिवार नियोजन के उपायों जैसे – सेक्स के समय कॉन्डम (कंडोम) का यूज जरूर करना चाहिए ताकि भारत के सामाजिक कानूनों से न टकराना पड़े। पीरियड्स को आज से समय कई नामों से जाना जा रहा है। जैसे – माहवारी, रजोधर्म, रजो चक्र, रजो अवस्था,मासिकधर्म, मईना, मेंसुरेशन साइकिल और एमसी।

 

 

 

* पीरियड्स से होने वाली समस्याएँ और समाधान -:

पीरियड्स के बारे में जानने के बाद अब हम पीरियड्स से आने वाली समस्याओं और उनके समाधानों पर चर्चा को आगे बढ़ाते हैं। ज्यादातर स्त्रियाँ पीरियड्स (माहवारी) की समस्याओं से परेशान रहती है लेकिन पीरियड्स की समुचित जानकारी के अभाव में या अज्ञानतावश और धार्मिक अंधविश्वास के चलते या फिर शर्म या झिझक के कारण लगातार इस समस्या से जूझती रहती हैं।

 

 

* पीड़ादायक पीरियड्स -:

पीरियड्स में होने वाली कई समस्याएँ हैं, जिनको बारी – बारी से जानना जरूरी है। सबसे पहली समस्या पीड़ादायक पीरियड्स है। पीड़ादायक यानी दर्द देने वाले पीरियड्स में निचले पेट (उदर) में ऐंठनभरी पीड़ा होती है। किसी स्त्री को तेज दर्द हो सकता है, जो आता और जाता रहता है या मन्द चुभने वाला (मामूली-सा) दर्द हो सकता है। पीरियड्स से पीठ में दर्द हो सकता है। दर्द कई दिन पहले भी शुरू हो सकता है और पीरियड्स के एकदम पहले भी हो सकता है। पीरियड्स का रक्त स्राव कम होते ही सामान्यतः यह दर्द भी खत्म हो जाता है।

 

* पीरियड्स जागरूकता अभियान -:

पीड़ादायक पीरियड्स से स्त्रियों को निजात दिलाने के जो सबसे ज्यादा जरूरी उपाय है, वो है पीरियड्स के बारे में जागरूकता लाना। हम चाहते हैं कि सरकार और हम नागरिक मिलकर, स्कूल और कॉलेज के छात्र – छात्राओं को साथ लेकर पीरियड्स के प्रति सशक्त जागरूकता अभियान चलाएँ। अभियान हर गाँव – गाँव और शहर – शहर में चलना चाहिए।

 

 

 

* पीड़ादायक पीरियड्स का घर पर उपचार -:

पीरियड्स जागरूकता अभियान की कुछ बातें इस प्रकार हैं। सबसे पहले हम स्त्रियों को ये जानकारी देंगे कि हम पीड़ादायक पीरियड्स का घर पर इस तरह उपचार कर सकते हैं – सबसे पहले हमें आज के बाजारवाद के दौर में आ रहीं कई तरह की रासायनिक दर्दमारक दवाइयों से बचना चाहिए। इसकी जगह हमें घरेलू आयुर्वेदिक नुख्से अपनाना चाहिए। जैसे – (1) अपने पेट के निचले हिस्से को (नाभि से नीचे) गर्म पैड से सेंकना चाहिए और ये भी ध्यान रखना चाहिए कि सेंकने वाले पैड को रखे – रखे सो मत जाएँ। (2)इस दौरान गर्म पानी से ही नहाना चाहिए। (3) गर्म पेय ही पियें जैसे – गरम पानी (कुनकुना पानूँ) या थोड़ा गरम दूध बगैरा (4) निचले पेट के आसपास अपनी अंगुलियों के पोरों से गोल – गोल हल्की मालिश भी करें। (5) सैर करें या नियमित रूप से व्यायाम (एक्सरसाइज) करें और उसमें श्रोणी को घुमाने वाले व्यायाम भी करें। (6) साबुत अनाज, फल और सब्जियों जैसे मिश्रित कार्बोहाइड्रेटस से भरपूर सन्तुलित आहार लें पर उसमें नमक, चीनी, मदिरा एवं कैफीन की मात्रा कम हो या बिल्कुल भी न हो। (7) हल्के परन्तु थोड़े-थोड़े अन्तराल पर भोजन करें। (8) ध्यान अथवा योग जैसी विश्राम परक तकनीकों का प्रयोग करें। (9) नीचे लेटने पर अपनी टांगे ऊंची करके रखें या घुटनों को मोड़कर किसी एक ओर सोयें।

पीड़ादायक पीरियड्स दौरान इस परिस्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। जब यदि स्व-उपचार से लगातार तीन महीने में दर्द ठीक न हो या खून के बड़े-बड़े थक्के निकलते हों तो डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। यदि पीरियड्स होने के पांच से अधिक दिन पहले से दर्द होने लगे और पीरियड्स के बाद भी दर्द कम न हो, तब भी डाक्टर के पास जाना चाहिए।

 

 

 

* पी.एम.एस (पीरियड्स के पहले की बीमारी) -:

अब हम पीरियड्स से पहले की स्थिति के लक्षणों के बारे में जानते हैं। पीरियड्स होने से पहले (पीएमएस) के लक्षणों का नाता माहवारी चक्र से ही होता है। सामान्यतः ये लक्षण पीरियड्स शुरू होने के 5 से 11 दिन पहले शुरू हो जाते हैं। पीरियड्स शुरू हो जाने पर सामान्यतः लक्षण बन्द हो जाते हैं या फिर कुछ समय बाद बन्द हो जाते हैं। इन लक्षणों में सिर दर्द, पैरों में सूजन, पीठ दर्द, पेट में मरोड़, स्तनों का ढीलापन अथवा फूल जाने की अनुभूति होती है। पी.एम.एस. यानी पीरियड्स से पहले बीमारी का कारण जाना नहीं जा सका है। यह ज्यादातर 20 से 40 साल उम्रवाली औरतों में होता है। जो एक बच्चे की माँ बन गयी हो या फिर जिनके परिवार में कभी कोई दबाव रहा हो या पहले बच्चे के होने के बाद दबाव के कारण कोई स्त्री बीमार रही हो- उन्हें होता है।

 

 

 

* पी.एम.एस (पीरियड्स के पहले की बीमारी) का घर पर इलाज -:

हम पी.एम.एस (पीरियड्स के पहले की बीमारी) का घर पर इस तरह इलाज कर सकते हैं। पी.एम.एस के स्व- उपचार में शामिल है – (1) नियमित व्यायाम – प्रतिदिन 20 मिनट से आधे घंटे तक, जिसमें तेज चलना और साईकिल चलाना भी शामिल है। (2) आहारपरक उपाय साबुत अनाज, सब्जियों और फलों को बढ़ाने तथा नमक, चीनी एवं कॉफी को घटाने या बिल्कुल बन्द करने से लाभ हो सकता है। (3) दैनिक डायरी बनायें या रोज का रिकार्ड रखें कि लक्षण कैसे थे, कितने तेज थे और कितनी देर तक रहे। लक्षणों की डायरी कम से कम तीन महीने तक रखें। इससे डाक्टर को न केवल सही निदान ढ़ंढने में मदद मिलेगी, उपचार की उचित विधि बताने में भी सहायता मिलेगी। (4) उचित विश्राम भी महत्वपूर्ण है।

 

 

 

* भारी पीरियड्स -:

पीरियड्स के स्राव को इस स्तिथि में भारी माना जाता है। जब यदि लगातार छह घन्टे तक हर घंटे सैनेटरी पैड स्राव को सोख कर भर जाता है तो उसे भारी पीरियड कहा जाता है। भारी पीरियड्स के स्राव के समय ये कारण होते हैं। जैसे – (1) गर्भाशय के अस्तर में कुछ निकल आना।
(2) जिसे अपक्रियात्मक गर्भाशय रक्त स्राव कहा जाता है। जिसकी अब तक व्याख्या नहीं हो पाई है।
(3) थायराइड ग्रन्थि की समस्याएँ
(4) रक्त के थक्के बनने (ब्लड क्लोटिंग) का रोग
(6) दबाव।

 

 

 

* लम्बा माहवारी / पीरियड -:

लम्बा पीरियड वह है जो कि सात दिन से भी ज्यादा चले। लम्बे माहवारी / पीरियड के सामान्य से कारण ये हैं – (1) अण्डकोष में पुटि (2) कई बार कारण पता नहीं चलता तो उसे अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्त स्राव कहते हैं। (3) रक्त स्राव में खराबी और थक्के रोकने के लिए ली जाने वाली दवाईयाँ (4) दबाव के कारण माहवारी पीरियड लम्बा हो सकता है।

 

 

 

* अनियमित माहवारी पीरियड -:

अनियमित माहवारी पीरियड वो होता है, जिसमें समयसीमा एक चक्र से दूसरे चक्र तक लम्बी हो सकती है, या वे बहुत जल्दी-जल्दी होने लगते हैं या असामान्य रूप से लम्बी अवधि से बिल्कुल बिखर जाते हैं। किशोरावस्था के पहले कुछ वर्षों में अनियमित पीरियड़ होना सामान्य बात है। शुरू में पीरियड अनियमित ही होते हैं। हो सकता है कि लड़की को दो महीने में एक बार हो या एक महीने में दो बार हो जाए, समय के साथ-साथ वे नियमित होते जाते हैं।

 

 

 

* अनियमित माहवारी के कारण -:

जब पीरियड असामान्य रूप में जल्दी-जल्दी होते हैं तो उनके ये कारण होते हैं – (1) अज्ञात कारणों से इन्डोमिट्रोसिस हो जाता है जिससे जननेद्रिय में पीड़ा होती है और जल्दी-जल्दी रक्त स्राव होता है।
(2) कभी-कभी कारण स्पष्ट नहीं होता तब कहा जाता है कि स्त्री को अपक्रियात्मक गर्भाशय रक्तस्राव है।
(3) अण्डकोष की पुष्टि
(4) दबाव।

यदि सामान्य पांच दिन की अपेक्षा अगर माहवारी रक्त स्राव दो या चार दिन के लिए चले तो इसमें चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है। समय के साथ पीरियड्स का स्वरूप बदलता है और एक चक्र – दूसरे चक्र में भी बदल जाता है।

 

 

 

* भारी, लम्बे और अनियमित पीरियड होने पर ये उपाय करना चाहिए – :

(1) माहवारी चक्र का रिकॉर्ड रखें- कब खत्म हुए, कितना स्राव हुआ (कितने पैड में काम में आए उनकी संख्या नोट करें और वे कितने भीगे थे) और अन्य कोई लक्षण आप ने महसूस किया हो तो उसे भी शामिल करें।
(2) यदि तीन महीने से ज्यादा समय तक समस्या चलती रहे तो डॉक्टर से सलाह लें।

 

 

 

* पीरियड्स का अभाव -:

यदि 16 साल की आयु तक पीरियड्स न हो तो उसे माहवारी अभाव / पीरियड्स अभाव कहते हैं। उसके ये कारण हो सकते हैं –
(1) औरत के जनन तंत्र में जन्म से होने वाला विकास
(2) योनि (योनिच्छद) के प्रवेशद्वार की झिल्ली में रास्ते की कमी
(3) मस्तिष्क की ग्रन्थियों में रोग।

✒ कुशराज झाँसी (#पीरियड्सपेचर्चा)

 

 

 

डिस्क्लेमर: उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण जंक्शन किसी दावे या आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।

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