मन में डर और उत्साह का संगम लिए मै बिग बाज़ार से जूते खरीद कर बाहर निकला | डर इसलिए लग रहा था की शायद मैंने जूते खरीदने के लिए अपने चादर से ज्यादा पांव फैला दिए थे , और उत्साह ये था की मैंने अब तक की खुद पहने के लिए सबसे महंगी चीज़ खरीदी थी | सर्दी की शाम धीरे धीरे अपना एहसास करा रही थी | मै घर जाने के लिए टेम्पो का इंतज़ार करना शुरु कर दिया |
काफी देर वहां , पीठ पर अपना स्टुडेंट बेग और हाथ में वुडलैंड का जूता लिए स्टैंड पर खड़ा रहा , अचानक एक टेम्पो ठीक मेरे सामने आकार रुकी , जिसमे सिर्फ दो लोग थे एक चालक और एक शायद उनका मित्र | चालक ने कहा की मुझे भी वही जाना है क्या आप चलोगे ? मै तो बस इंतज़ार में ही था , झट – पट जाकर मै चालक के पास बैठ गया , अब टेम्पो में हम बस तीन लोग थे मै , मेरी बगल में चालक के दोस्त और उनके बगल में चालक जो टेम्पो चला रहा था |
मै थोडा आराम महसूस कर रहा था लेकिन ये ज्यादा देर न रहा ! अचानक चालक के मित्र उठ – उठ कर टायर को देखने लगे, वो बार – बार मेरे ऊपर से उठ कर देखते तो थोड़ी बहुत हमे तकलीफ होती मैंने शांति से अपना विरोध भी दर्ज कराया | अचानक टेम्पो चालक ने टेम्पो रोक दी !
चालक – भैया आप दूसरा कर लो , कुछ प्रॉब्लम है हम नहीं जा पाएंगे |
मै – यार फिर बैठाया क्यों , आधे रास्ते लाकर छोड़ दिया अब हम कैसे जायेंगे ?
चालक – भैया हम क्या करे , शायद टायर में हवा कम है , हम नहीं जा पाएंगे , आप दूसरा कर लो !
आखिर मुझे उतरना ही पड़ा , और देखते देखते टेम्पो कही दूर चला गया |
अचानक किसी चीज़ के ना होने का अहसास हुआ | हाथ जेब में गया तो पता चला की वालेट नहीं है |
ओह : मेरा ATM card , PAN card , College ID , Sim card , मेरी तो पूरी वसीहत ही चली गयी | पैन कार्ड और ए. टी. म. कार्ड तो मेरी जान ही थे कितनी मेहनत की थी बनवाने में और एक झटके में सबने साथ छोड़ दिया | लेकिन अब क्या कर सकता था , सिवाय अफ़सोस के अब मेरे पास कुछ नहीं था | मुझे एसा लगा जैसे मेरी प्रेमिका ने मेरा साथ छोड़ दिया है |
जेब में हाथ डाला तो किसी कोने से ३-४ रूपये निकले , मुझे मंजिल तक पहुचने के लिए ये भी पर्याप्त नहीं थे | एक पल को तो लगा की मेरे हालात साइबेरिया जैसे हो गए है , फिर याद आया की चलो कम से कम मेरा मोबाइल तो मेरे साथ है फिर कुछ जान में जान आयी | मित्र को फोन किया वो आये और हमे कुछ पैसे दिए, फिर मै गंतव की ओर लौटा |
बीएसएनएल कार्यालय फोन किया की भैया मेरा सिम ब्लाक कर दीजिए , किसी ने मेरा वालेट मार दिया है , अब आपकी कंपनी के सिम ने मेरा साथ छोड़ दिया है | जनाब ने हमे FIR कराने का निर्देश दिया और कहा की बिना FIR के सिम बंद नहीं हो सकता |
मै अब घोर संकट में आ गया जहाँ जाने से हर भारतीय बचता है वहीँ जाने का सुझाव बीएसएनएल वालो ने हमे दे दिया | मरता क्या न करता ! शाम के ७-८ बज रहे थे | इतनी रात को कौन जाए , चलो सुबह चलते है | पूरी रात बिस्तर पर करवटें बदलता रहा | पुलिस स्टेशन के बुरे – बुरे स्वप्न आते रहे |
दोस्तों से बात की सब ने कहा –: साले बहुत कमीने होते है १०० – २०० रूपये तो ले ही लेंगे FIR लिखने के ” | सबने FIR से जुड़े अपने अपने किस्से सुनाये | एक मित्र ने तो यहाँ तक कह दिया की यार उनका कोई ईमान नहीं होता है मेरे से तो एक बार २० रूपये ले लिए थे |
मेरी हिम्मत जबाब दे रही थी | उलझनों में रात गुजरी , जाने कब सबेरा हो गया पता ही नहीं चला |
सुबह की अपनी क्लस छोड़ी और सीधे कानपुर कोतवाली पंहुचा | रात को किसी मित्र ने बताया था की एक सादे पन्ने पर लिख कर ले जाना वो बस उस पर मोहर लगा देंगे | और १०० -२०० रूपये ले लेंगे | मैंने सोचा चलो लिख ही लेते है पास की दुकान पर गया और बोला
मै – भैया कुछ सफ़ेद पन्ने और एक कार्बन कॉपी दे दीजिए |
दुकानदार – बेटा पन्ने ले लो कार्बन कॉपी नहीं है , एक ही बात दो पन्नों पर लिख लेना |
मै – भईया ये बताइए की अंदर तो कार्बन कॉपी देते होंगे |
दुकानदार – अरे बेटा साले कमीने है वो क्या देंगे , और हां बोलना हम स्टूडेंट है पापा ने रिक्शे के लिए बीएस २५ रूपये दिए है , शायद तुमसे कम पैसे में मान जाए |
मन ही मन मैंने पुलिस विभाग को लाख गलियां दे दी | फिर हिम्मत कर के मै पुलिस स्टेशन के अंदर पंहुचा | मै शायद कुछ हिचकिचा रहा था अंदर जाने में | एक पुलिस वाले ने मुझे अपने पास बुलाया ,
पुलिस वाला – क्या बात है बेटा ?
मै – सर मेरा वालेट चोरी हो गया है उसमे मेरा सिम था ये प्रार्थना पत्र है (मे जेब में हाथ डाल कर उन्हें देने के लिए ५० रूपये अलग कर रहा था )
पुलिस वाला – बेटा चोरी का FIR तो कोई नहीं लिखेगा , आप किसी भी पुलिस स्टेशन में जाओ कोई नहीं लिखेगा , आप यहाँ लिख दो की कही खो गया है , तो भी आपका काम चल जायेगा | और ये हमारी जिमेदारी नहीं है | अपने सामान की सुरक्षा स्वंय करिये |
मै – (थोडा डरते हुए ) जी सर ! पहली बार हुआ है , आगे से ध्यान रखूंगा |
पुलिस वाला – इसको सही करो “ चोरी हो गया है ” इसको बनाओ “ कहीं खो गया है ”
(फिर पुलिस वाले ने खुद ही उस पर सफेदी लगये और उसे “ खो गया है बनाया “)
मै इंतज़ार कर रहा था की वो कब मुझ से पैसे मांगेगा और मै उसे क्या कहूँगा ? फिर उसने उस पर मोहर लगा दी | मै धीरे – धीरे बहार निकला |
ये क्या ? ??? मै खुद आश्चर्य चकित था ! उसने मुझसे पैसे क्यों नहीं मांगे ? लोगो से तो काफी बुरा – बुरा सुना है पुलिस वालो के बारे में | अब मै कारणों पर विश्लेषण करने लगा – वो क्या कारण थे की पुलिस वाले ने मुझसे पैसे नहीं लिए ?
अंत में लगा शायद आदर्श चुनाव आचार सहिंता लगी है इसलिए उस ने पैसे नहीं लिए क्यों की इस समय उसे किसी को पैसे नहीं देने होंगे |
कारण चाहे जो भी हो , मुझे बहुत अच्छा लगा , एक पल को सोचा की ये आचार सहिंता पुरे ५ साल लगनी चाहिए | कम से कम आम आदमी को सहूलियत तो होगी | काश पुरे भारत में ऐसा हो जाये | जितने आराम से मैंने अपना FIR दर्ज कराया वैसे सबका काम आसानी से हो जाए | मुझे FIR लिखवा कर इतनी ख़ुशी हुई की मै अपने सारे गम भूल गया |
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