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एहसास

Lahar
Lahar
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तुम पास हो एसा महसूस  करता हूँ ,

लगता है जैसे कल ही तो मिले थे !


सुबह – शाम , दिन – रात ,

हर पल कुछ याद आता है !


याद है वो पहली बार Mc D में मिलना ,

बगल में तुम  बैठी होती थी !

तुम्हारे कंधे पर मेरा हाथ ,

मेरे कंधे पर तुम्हारा सर होता था |


तुम प्यार से पूछती थी ,

क्यों चाहते हो मुझे इतना

हम दोनों की किस्मत एक नहीं ,


तुम कही और हो ?

हम कही और है ??

जाना तुम्हे कही और है ?

जाना मुझे कही और है ?

तुम्हे किसी और का होना है ?

मुझे किसी और का होना है ?


बताओ ?? बताओ नापंकज ?

कुछ तो बोलो पंकज ?

क्यों चाहते हो हमे इतना ,


जब हमारी किस्मत में मिलना ही नहीं !

मेरी आँखों में आंशु , चहरेपर उदासी !


दिल में मायूसी , जुबां पर खामोसी |

और मै धीरे से कहता हूँ !

चुप हो जाओ ( जान  ) |


तुम्हारी काजल भरी आंखे !

वो प्यारी काली कुर्ती ,

जो पहन कर तुम

मुझे मिलने आती थी !


तुम्हारा वो प्यारा एहसास |

बेबस तुम्हारी याद दिलाते है |


और तुम्हरी यादें मुझे ,

कुछ सोचने ही नहीं देती |

आओ कुछ पल साथ जी ले !


आओ कुछ पल साथ मर ले !!

फिर तो पूरी जिंदगी तन्हा ही रहना है |

फिर तुम ना होगी साथ   मेरे ,

पर तुम्हारी यादें तो होंगी |||


मुझे पता है ना मै अच्छा हूँ , ना मेरी कवितायेँ अच्छी होती है !

लेकिन हां मै और मेरी कवितायेँ दोनों सिर्फ तुम्हारे है |

.……….by Lahar

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