Lahar
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कहता कभी मन मेरा है ,
जो दबी कुचली है वो एक नारी है !
लेकिन कहूँ मै कैसे ,
आज सबको नचा रही एक नारी है !
बन के बहन तुने ,
रिश्तो को एक नया आयाम दिया ,
लेकिन कहूँ किस मुख से मै ,
बैठ के कोठो पर तुने रिश्तो को बदनाम किया |
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