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धरने पर सरकार-कविता

chintan
chintan
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अब बहुरेंगे सबके दिन,
बोतल से निकला है जिन|
भ्रस्टाचार पर होगा वार,
धरने पर बैठी सरकार||
सड़को से जब होगा काम,
खुलकर बोलेगा आवाम|
मिलेगा जन-जन को अधिकार,
धरने पर बैठी सरकार||
मिट जाएगा जग से पाप,
करती सबसे वादा आप|
कही न होगा अब व्यभिचार,
धरने पर बैठी सरकार||
मंत्री ना होगा बदनाम,
कर देगे हम चक्का-जाम|
नयी फ़ौज होगी तैयार,
धरने पर बैठी सरकार||
लाने को अब ग्राम-स्वराज,
सत्ता ने बदला अंदाज |
कैसी उलटी बही बयार,
धरने पर बैठी सरकार||

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