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जब रावण माता सीता को हर कर अपने वाटिका में ले गया तो उसके दुर्व्यहार (अत्याचार) से बचने के लिए माता सीता ने एक तिनके का सहारा लिया था, रावण और अपने बिच एक तिनका रख दिया था और रावण को चेतावनी दी की तुममे इतनी हिम्मत हैं तोह इस तिनके को पर कर के दिखाओ और रावण के अंदर इतनी हिम्मत नही थी की ओ उस तिनके को पार कर माता सीता तक पहुचे !
माता सीता को उस तिनके पर इतना विश्वास क्यों था ?
तिनके को हम भूमिज कहते हैं, (अर्थात जो भूमि की कोख से पैदा हुआ हो) और माँ सीता का अवतरण भी भूमि से ही हुआ था, जिसके कारण उन्हें “भूमिजा” भी कहा जाता है.माता सीता ने उस तिनके में अपना सहोदर, भूमि से ही उपजा अपना भाई देखा था और वो जानती थीं कि किसी भाई की उपस्तिथि में किसी भी दुराचारी रावण की इतनी सामर्थ्य नहीं कि उसकी बहन को छू भी सके. हे ईश्वर मेरी प्रार्थना हैं तुमसे तू सभी बहनों को भाई के रूप में ऐसा ही भरोसा दे .
आज इस पावन त्यौहार (रक्षाबंधन) पर सभी बहनों को बधाई !!!
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