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कथा सुनाने की परंपरा बहुत प्राचीन है | दादी-नानी, मां-मौसी, इन लोगों का तो इस विधा को जीवित रखने में विशेष योगदान है। पुरानी मंचीय अभिनय प्रस्तुतियों में नौटंकी, रामलीला तथा रासलीला की स्मरणीय छाप मन पर अमिट है। घर में सुनी कहानियों में ख़ास बात थी, “एक था राजा और एक थी रानी…” अंत में दोनों मिल गए और आनंद पूर्वक रहने लगे।” यानि अंत हमेशा सुखद।
इन सब स्मृतियों का एक ‘कोलाज़’ बना तो मेरी कलम से निकली यह रचना– न्याय। इसमें “यह करो” या “ऐसा होना चाहिए” शब्दों से ऐसे उपदेश या अपेक्षा नहीं है, बल्कि कोरे अंतरालों से और रूखे संवादों से, कम विशेषणों से एक सन्देश और रस बनाने की कोशिश है। अंत बचपन वाला सुखद है। संवाद शैली पर नौटंकी वाली प्रेरणा है।
सूत्रधार-
भारतवर्ष देश है कथा कहानी का।
नमन विनायका सुमिरन भवानी का।
सुनी सुनाई श्रुति कहलाती।
कही कहाई किवदंती।
हुंकारे का मान बढाती,
आने वाली हर पंक्ति।
कथा अनमोल न प्रश्न नई पुरानी का।
नमन विनायका सुमिरन भवानी का।
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सरकारी वकील –
अपराध संगीन यह शब्द छोटा है,
अपराधी छोटा पर बदमाश खोटा है।
महाशय, सचमुच यह राष्ट्रीय चिंता है,
कचरे और कबाड़ से पॉलीथिन बीनता है।
कड़ा दण्ड ही उपाय आगामी वीरानी का।
नमन विनायका सुमिरन भवानी का।
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बचाव पक्ष का वकील-
उठाईगीर नहीं सिर्फ रोटियां उठाई है,
गर्म चिमटे से बचने दौड़ लगाई है।
ढाबे के मालिक ने थामी जलती हुई लकड़ी,
पुलिया से कूदकर अपनी जान बचाई है।
करुण अध्याय ये पीड़ा पीरानी का।
नमन विनायका सुमिरन भवानी का।
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अपराधी-
उम्र ग्यारा नहीं स्कूल जाता हूं,
कुछ करके हाथ मां का बंटाता हूं।
गीली पट्टी से भाप मां के मस्तक पर,
तो ज्वर से कहा मैंने मैं रोटी लाता हूं।
लेने रोटी निकला बेटा शिवानी का।
नमन विनायका सुमिरन भवानी का।
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सूत्रधार-
मुकदमे पर कचहरी में वाद हुआ प्रतिवाद हुआ,
दीर्घा में बैठे लोगों में गरमागरम संवाद हुआ।
न्यायाधीश ने माथे पर अरे हाथ फिराया कई बार,
बहस गवाही के बूते पर यह निर्णय निर्विवाद हुआ।
निर्णय गजब ऐतिहासिक निशानी का।
नमन विनायका सुमिरन भवानी का।
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न्यायाधीश-
बच्चे का दोष सिद्ध उसे सजा और जुर्माना होगा,
समाज बराबर का दोषी उस पर भी हर्जाना होगा।
व्यवस्था फ़र्ज़ निभाती तो नन्हीं मुट्ठी में पैसा होता,
मैं भी शामिल कुचक्र में अब भुगतो भुगताना होगा।
पश्चाताप ! “हो गये पानी पानी का”।
नमन विनायका सुमिरन भवानी का।
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सूत्रधार-
शास्ति-दंड शर्मसार लोगों ने वहन किया,
एक पैर देह भार अभियुक्त ने सहन किया।
समाज ने खंड-खंड करुणा को अखंड किया,
सानंद जीवन हुआ जो न्याय को नमन किया।
धन्यवाद, प्रथा-पुरातन पुरानी का।
नमन विनायका सुमिरन भवानी का।
भारतवर्ष देश है कथा-कहानी का।
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