सुनो दोस्तों
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ब्रम्हा निराश है संसार की हालत और हालात देखकर,
.विष्णु थक गए सम्हालते सम्हालते,
शंकर परेशान है तांडव नाच नाच कर, प्रलय ला ला कर,
तीनों ने मिटींग बुलाई समस्त प्राणियों की,
लगाई गुहार सब सुधर क्यों नहीं जाते ,
सबने माथा रगडा क्षमा माँगी,
सोच विचार कर परस्पर विमर्श कर कहा-
भगवान एक जीवन में मरने के समय तक तो सिर्फ,
गलातियाँ क्या की इतना ही समझ में आता है,
दूसरा जीवन उन्हीं यादों अनुभवों के साथ दीजिये ,
फिर देखिये
हम संतुष्ट ,
आप होंगें गौरवान्वित खुद के कमाल पर,
ब्रम्हा,विष्णु, महेश ने निर्णय लिया
‘जो सबने चाहा था कर दिया ‘
रीजनेबल टाईम के बाद
परफार्मेंस रिव्यू मीटिंग में
पाया गया
सब तो सुधर गए,
पर आदमी ने तीसरे जीवन की भीख के लिए कटोरा आगे कर दिया|
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