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सरकार दवारा जाहित के नाम पर वन विभाग की सेकड़ो एकड़ जमीन का अधिग्रहेन करके डी एल एफ को बेचने के मामले में हाई कोर्ट के एक और जज ने सुनवाई से सवय को अलग कर लिया लग भग एक वर्स से इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही हे इस से पहले भी कई जज इस मामले की फाइल अन्य बेचो को रेफर कर चुके हे बुदवार को जब हाई कोर्ट के जज हेमंत गुप्ता के पास मम;मामला आया सरकारी वकील ने बताया की इस मामले में जज के एक करीबी रिश्तेदार का अहम् रोल हे तो उन्होंने मामला अन्य बेच को रेफर कर दिया गुडगाव निवासी ओम परकास व अन्य दवारा जनहित में याचिका दायर की गई थी /
तो दोस्तों यह सब देख कर आप लोगो को क्या लगता हे? हमारा कानून और उस के रक्षा करने वाले सही काम कर रहे हे ?उन पर दबाव नही हे? क्या आज का कानून गरीब वर्ग व विपक्छ के लिए ही नहीं रह गया हे? कब मिलेगी जनता को तारीखों से निजात कब मिलेगा जनता को इंसाफ ?कया आज का कानून सवतंत्र हे अगर नहीं तो क्या इसे सवतंत्रता की जरुरत नही हे ?अगर आप सभी अपने आप को सच्चा और जागरूक भारतीय मानते हे तो गभीरता से सोच विचार करके मेरे प्रशनो के जबाब जरुर दे /
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