Sarm karo sarm
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चीन की औकात नहीं, जो हमसे यूँ टकरा जाए ,
कोई भेदी घर का है, पहले उसको ढूंढा जाए।
ख़ामोशी भी गद्दारी है, जब निर्णय लेने में देरी हो ,
सेना को अधिकार सौंप दो, पेइचिंग तक दौडाया जाए ।
सोच रहा जो रण क्षेत्र में, सन 62 को दोहराने की ,
समय आ गया आज बता दो, तिब्बत भी लौटाया जाए ।
देश के ऊपर संकट हो, कोई कुर्सी की बात करे ,
सत्ता के जोंकों को भी, आज सबक सिखाया जाए ।
आँख उठे जो मुल्क पर, आँख निकाल बहार करो ,
व्यापार पर रोक लगाओ, उसकी रीढ़ पर वार करो
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