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जनहित से संबंधित जो काम हमारी देश की संसद को करना चाहिए आजकल वह न्यायपालिका कर रही है. कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में दागी सांसदों और विधायकों को जोरदार झटका देते हुए कहा था कि अगर सांसदों और विधायकों को किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद दो साल से ज्यादा की सजा हुई, तो ऐसे में उनकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द हो जाएगी. भ्रस्टाचार से त्रस्त जनता इस प्रावधान को लेकर बहुत ही खुस थी लेकिन ऐसा हुवा नही सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने सारे परजातंत्र को हिला कर रख दिया मानसुन सत्र मॆ इसे लेकर चिन्ता के सुर बजने लगे ओर पक्छ ओर विपक्छ ने एक हो कर राज्य सभा मे आन्न फ़ान्न मे इस के खिलाफ़ सन्सोधन बिल पास करवा लिया जो लोक सभा मे रखा गया ओर यह सब किया गया दागी नेताओ के भविस्य को बचाने के लिये कयोकी हमारी नेताओ कि सुचियॊ मे दागी ओर भ्रस्टाचार मे लिप्त नेताओ की एक लम्बी सुची हे ओर सुप्रीम कोर्ट के इस अहम अपने फैसले ने सियासी घरानो ओर इन दागी नेताओ को हमेसा के लियॆ राजनिती से बहार करने का रास्ता खॊल दिया था संसद मे यह सन्सोधन बिल अटक गया तो केंद्र सरकार ने बिजेपी के साथ मिलकर इसे रद्द करने के लिए अध्यादेश लेआई है ओर संसद मे कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट फ़ेसले करे उसे कानुन बनाने का कोई हक नही हे इतना कुछ होने पर भी कोग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाधी इस बिल बारे अनजान बने चुपी साधे रहे ओर जब उच्चतम न्यायालय ने यह सब देखते हुवे एक ओर बेहद अहम फैसले में देश के मतदाताओं को यह अधिकार दे दिया है कि वे अब मतदान के दौरान सभी उम्मीदवारों को “राइट टू रिजेक्ट” के तह्त ठुकरा भी सकेगे ओर अपने मन पसन्द एव साफ़ छ्वी के लोगॊ को चुन भी सकेगे सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फ़ेसले से इन सभी सियासी दलॊ के मन्सुबे तो धरे के धरे रह ही गयॆ साथ ही जग हसाई ओर जन्ता का पर्तिरोध मिला सो अलग इस बिल को लेकर जन्ता की पर्तिकिर्या ओर आगामी कुछ महिनॊ बाद होने वाले चुनाव को देखते हुवे इस पर तुरन्त मन्थन किया गया ओर इस ह्डबडी मे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाधी द्वारा उन कि जनता मे एमेज सवारने ओर भडकी हुई जनता की सहानुभुती पाने के लिये तुरता फ़ुरती इस अध्यादेश पर भासन दिलवा दिया गया की यूपीए सरकार के अध्यादेश को फाड़कर फैंकने का बयान दिलवा कर देश के संविधान, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमण्डल व राष्ट्रपति के होने वाले अपमान को भी नजर अन्दाज कर दिया गया अगर इस सब को गभिरता से लिया जाये तो राहुल गांधी दवरा दिया गया यह बयान देश के संविधान एवं केंद्रीय मंत्रिमण्डल का अपमान तो हे ही साथ ही यह सब वोट कि राज्ञनिती मे देस कि गरिमा ओर आन बान सान के खिलाफ़ की गई पहल के रुप मे नजर आता हे वाहरे वोट बेंक की राजनिती लेकिन जन्ता सब जानती हे ओर ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए “राइट टू रिजेक्ट” के इस अहम फैसले पर सभी पार्टियां कोई न कोई तोड़ जरूर निकाल ही लेंगी.
जय भगवान सिंह कादयान अद्यक्स जननायक चोधरी देवीलाल ग्राम सुधार सगठन
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