कहते हैं कि जिन्दगी का सफर अकेले नहीं कटता है क्योंकि जिन्दगी के किसी ना किसी मोड़ पर आपको एक ऐसे साथी की जरूरत होती है जो आपसे बेहद प्यार करे जिसके साथ आप अपने सुख-दुख बांट सकें. अकेले जिंदगी गुजार रहे लोगों के निजी जीवन की गतिविधियों की जानकारी जुटाने के उत्सुक लोगों की कहीं भी कमी नहीं दिखती. अमूमन सभी के मन में यह प्रश्न स्वाभाविक तौर पर उठता है कि आखिर क्या बात है कि फलां एकाकी जीवन जी रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि कुछ गड़बड़ है? कहीं वैसा तो नहीं?
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अकेले रहना गुनाह क्यों ?
जब भी कोई व्यक्ति शादी ना करने का फैसला लेता है तो समाज उस व्यक्ति से तरह-तरह के प्रश्न पूछना शुरू कर देता है. यदि आप अपनी इच्छा से ही अकेले रह रहे हों तो भी समाज है कि बस पीछे पड़ ही जाता है. आस-पड़ोस में यदि कोई लड़की ज्यादा समय तक अविवाहित रहे तो पड़ोसियों में कानाफूसी का दौर आरंभ होने में कितनी देर लगती है. इन्हें बस कोई चट्पटी न्यूज चाहिए होती है और इससे मजेदार खबर क्या होगी कि फलां पड़ोसी की लड़की ना जाने क्यों अभी तक बिना शादी के है? ना इधर चैन ना ही उधर. ऐसे में क्या करे कोई जब कि भागम-भाग वाली जिंदगी में कई बार तो वक्त की कमी के कारण और कभी परिस्थितिवश अकेले जीवन जीना मजबूरी बन जाए.
परिवार वह संस्था है जहां औरतों की प्रतिभा चूल्हे-चक्की में व्यर्थ होती है और पुरुष की क्षमताएं पारिवारिक जिम्मेदारियां उठाने में जाया होती हैं. यह बात स्थान-काल-परिस्थिति के संदर्भ में कही गई थी. लेकिन आज की स्थितियां भिन्न हैं. शादी के बगैर भी जिम्मेदार बना जाता है जरूरी नहीं कि सिंगल लोग गैर-जिम्मेदार हों .
विदेशों में लोग अपने ढंग से अकेलेपन का आनंद लेते हैं. वे दुनिया भर में घूमते हैं, रचनात्मक कार्य करते हैं, रेस्टरां में अकेले खा सकते हैं. भारत में एक साथी पता नहीं क्यों जरूरी माना गया है. शादी हो तो अच्छा है, लेकिन न हो तो इसमें बुरा कुछ नहीं. सिंगल रहने के बहुत से फायदे भी हैं, उन्हें देखें.
समाज में एकला चलो रे में यकीन रखने वालों की संख्या बढ रही है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि अकेले रहने की भी इच्छा बढ रही है. यू.एस. के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार वहां 30 से 34 की उम्र के अविवाहित, योग्य सिंगल्स की संख्या बढ रही है. इस आयु-वर्ग के 33 फीसदी लोग ऐसे भी हैं, जो शादी नहीं करना चाहते. लेकिन ज्यादा संख्या लेट मैरेज करने वालों की है. हालांकि 98 फीसदी मानते हैं कि वे लंबे समय तक चलने वाले रिश्ते चाहते हैं.
‘शादी’ का संबंध ‘प्यार’ से है
शादी का सीधा संबंध प्यार से होता है. शादी इसलिए नहीं की जाती है क्योंकि यह समाज की परम्परा है जिसे निभाना जरूरी है. अकेलेपन को हमेशा गलत ही समझा जाता है पर यह गलत है. कभी-कभी व्यक्ति जो विवाह जैसे रिश्तों में बंध कर नहीं सीख पाता है उसे उसका अकेलापन सिखा देता है.
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