मानव-जीवन अपने आस-पास के वातावरण से प्रभावित होता है. पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश आदि प्राकृतिक संसाधनों से उर्जा प्राप्त कर अपनी जीवन यात्रा पूरी करता है. कहा जाता है कि वास्तुशास्त्र के हिसाब से घर या कार्यस्थल व्यवस्थित न हो तो जीवन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. वास्तुशास्त्र में जीवन के हर एक पहलू को शांति और समृद्धि के साथ जीने का तरीका बताया गया है. आज बात कर रहे हैं कि कैसे वास्तुशास्त्र से धन और संपत्ति में वृद्धि की जाए?
वास्तु विज्ञान की मूल दिशाएं हैं. इसके अलावा मूल दिशाओं के मध्य चार विदिशाएं ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य होते हैं. आकाश और पाताल को भी दिशा स्वरूप शामिल किया गया है. इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश-पाताल को जोड़कर इस वास्तु विज्ञान में दिशाओं की संख्या कुल दस माना गया है.
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दसों दिशा के अपने गुण और लाभ होते हैं. धन और संपत्ति को संग्रहीत करने के लिए दक्षिण-पश्चिम की दिशा को अच्छा माना जाता है. धन के देवता कुबेर से जुड़ी दिशा यूं तो उत्तर मानी जाती है, लेकिन यदि घर में लॉकर रूम बनवाना हो तो इसके लिए दक्षिण-पश्चिम यानी साउथ-वेस्ट को सबसे अच्छा माना जाता है. लॉकर रूम बनवाने के दौरान कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें. जैसे-
1.जिस कमरे में लॉकर बनवा रहे हैं, वह अन्य कमरों की तरह ही चौकोर हो और दूसरे कमरे की तरह सामान्य ऊंचाई का होना चाहिए.
2.लॉकर रूम घर के कोने पर होना उत्तम माना जाता है. दूसरे कमरे या जगह जाने के लिए इस रूम से होकर कोई रास्ता नहीं होना चाहिए.
3.ध्यान रहे कि लॉकर रूम को कभी भी स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल नहीं करें.
4.लॉकर रूम में किसी देवता की तस्वीर की जगह कांच रखा जाना अधिक उपयुक्त माना जाता है.
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नैऋत्य कोण यानि दक्षिणी-पश्चिमी कोना से जुड़े कुछ अन्य बातों का ध्यान जरूर रखें जिससे घर में धन और संपत्ति का भंडार हमेशा भरा रहेगा. इस कोने में पृथ्वी तत्व का प्रभाव रहता है. इस कोने के कमरे का फर्श सभी कमरों से ऊँचा हो तो अच्छा है. छोटे बच्चे इस कमरे में न सोएं एवं नौकर को भूल से भी इस कोने का कमरा न दें. इस कोने में घर का टॉयलेट, बेडरूम या स्टोर रूम बनाना चाहिए. यह घर का दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र होता है. घर का वजनी सामान भी यहाँ रखा जा सकता है लेकिन बेकार सामान यहाँ नहीं रखना चाहिए. इस कोण में घर का मेन गेट नहीं बनाना चाहिए.Next…
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