प्राय: देखा जाता है कि प्रतिस्पर्धा प्रधान इस युग में व्यक्तिगत जीवनशैली बेहद जटिल और व्यस्त हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने निजी जीवन और कार्यक्षेत्र में सामंजस्य नहीं बैठा पाते. ऐसा भी नहीं है कि वह अपने परिवार की उपयोगिता, उसके महत्व को प्राथमिकता नहीं देते, लेकिन कभी-कभार हालात ऐसे बन जाते हैं जो व्यक्ति के जीवन को अत्याधिक चिंताजनक और तनावग्रस्त बना देते हैं.
तनाव का सबसे बड़ा लक्षण और दुष्परिणाम है नींद ना आना. शोधकर्ता पहले भी यह प्रमाणित कर चुके हैं कि ठीक से नींद ना आने जैसे हालातों में व्यक्ति को कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है. यही कारण है कि जहां कुछ लोग सोने के लिए नींद की गोलियों का सहारा लेते हैं वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो कुछ देर के लिए ही सही तनाव को भूलने के लिए नींद की गोलियां खाते हैं.
परंतु हालात तब बिगड़ जाते हैं जब व्यक्ति सोने और आराम करने के लिए पूर्णत: नींद की गोलियों पर ही निर्भर हो जाता है. जब तक वह नींद की गोली नहीं खाते उन्हें नींद आने का सवाल ही पैदा नहीं होता. लेकिन अगर आप भी ऐसे ही किसी परेशानी के शिकार हैं तो अभी से संभल जाइए क्योंकि डॉक्टरों का कहना है कि अत्याधिक नींद की गोलियों का सेवन करने से आपका शरीर कभी भी सहज रूप से कार्य नहीं कर सकता. भले ही आप कितने ही सक्रिय रहें लेकिन आप खुद को स्वस्थ नहीं कह सकते. लेकिन अगर आपका वजन अधिक है तो आपको भूल कर भी कभी नींद की गोली नहीं खानी चाहिए क्योंकि आपके लिए तो यह प्राणघातक भी साबित हो सकती है.
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जैक्सन होल सेंटर फॉर प्रीवेंटिव मेडीसिन के पारिवारिक फिजीशियन और एपीडेमियोलॉजिस्ट रॉबर्ट लांगर का कहना है कि अगर आप साल भर में भी केवल 18 नींद की गोलियां खाते हैं तो इससे आपकी मृत्यु तक हो सकती है.
लांगर का कहना है कि यूं तो मोटापे में नींद की गोली का सेवन नुकसानदेह होता है लेकिन मृत्यु का खतरा 18-54 वर्ष के बीच सबसे अधिक होता है. इतना ही नहीं नींद का सेवन करने वाले सौ लोगों में से एक या दो व्यक्ति की मौत केवल इसीलिए होती है क्योंकि उनका वजन ज्यादा होता है.
सैन डियागो में स्क्रिप्स क्लिनिक्स विटरबी फैमिली स्लीप सेंटर में मनोचिकित्सक और अध्ययन के मुख्य लेखक डेनिएल क्रिप्के ने 40,000 नींद की गोलियों पर आश्रित लोगों पर अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है कि नींद की गोली खाने वाले मोटे पुरुषों की मौत का खतरा महिलाओं से लगभग दोगुना होता है.
अध्ययन के नतीजों को सैन डियागो में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के सलाना एपीडेमियोलॉजी एंड प्रीवेंशन/न्यूट्रीशन, फिजिकल एक्टिविटी एंड मेटाबोलिज्म 2012 वैज्ञानिक सत्र में प्रस्तुत किया गया है.
उपरोक्त अध्ययन को अगर हम भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखें तो हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि भारतीयों में मोटापे का प्रतिशत तो अधिक है ही साथ ही प्रतिस्पर्धा से जूझते लोगों में तनाव का स्तर भी दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. ऐसे में नींद की गोलियों पर निर्भर रहना बहुत से लोगों के लिए एक जरूरत या विवशता बन गई है. यह बात तो हम पहले भी जानते थे कि नींद की गोलियों का सेवन शारीरिक और मानसिक दोनों ही तौर पर घातक होता है लेकिन अब वैज्ञानिकों ने यह भी प्रमाणित कर दिया है कि नींद की गोलियों का सेवन मृत्यु का कारण भी बन सकता है.
तनाव का कारण है पूरे दिन उलझनों में जकड़े रहना और ऐसा कोई काम ना कर पाना जो हमें खुशी पहुंचाता हो, इसीलिए किसी भी व्यक्ति को अपने लिए इतना समय तो जरूर निकालना चाहिए जिसे वह केवल स्वयं को या फिर उन लोगों को समर्पित करे जो उसे अपनी चिंताओं को भूलने में मदद करते हैं. पारिवारिक जन और नजदीकी दोस्त हमेशा एक दवा के रूप में काम करते हैं. यकीन मानिए इनके साथ अच्छा समय बिताएंगे तो कभी किसी नींद की गोली की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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