इसमें कोई दो राय नहीं कि बर्गर, पिज्जा, फ्राईस आदी फास्टफूड खाने से आपकी कमर की साईज पर असर पड़ता है पर वैज्ञानिकों के नए शोध में यह सामने आया है कि फास्ट फूड आपके दिमाग पर भी असर डालता है.
शोधकर्ताओं ने पाया है कि फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक आदि पश्चिमी खाद्य पदार्थों के अत्यधिक उपभोग से दिमाग की क्षमताओं पर नकारात्मक असर पड़ता है. इससे प्रतिक्रिया देने का समय, एकाग्रता, सीखने की क्षमता और याद्दाश्त कम होती है. अगर एक 14 साल के किशोर के खानपान में फास्टफूड की मात्रा अधिक है तो 17 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते उसकी बौद्धिक क्षमता में काफी गिरावट आती है.
वहीं खान-पान में हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों को शामिल करने वालों की बौद्धिक क्षमता फास्टफूड खाने वालों से अपेक्षाकृत अधिक पाई गई है.
Read More: आपका वजन कम करने का यह तरीका भी हो सकता है बेकार, जानिए क्या है वो उपाय जो करेगा आपकी मदद
शोधकर्ता डॉ ऐनेट नयार्डी ने साइंस नेटवर्क को बताया की ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ताजे फल और हरी सब्जियों में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्वों से फास्टफूड खाने वाले वंचित रह जाते हैं. यह सूक्ष्म पोषक तत्व बौद्धिक विकास के लिए अतिआवश्यक हैं. फास्टफूड में मौजूद ओमेगा-6 फैटी एसिड स्तर भी बौद्धिक विकास को प्रभावित करता है.
साइंस नेटवर्क के अनुसार शरीर की मेटाबॉलिक रिएक्शन तब सबसे बेहतर रूप से कार्य करता है जब भोजन में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का अनुपात 1:1 होता है पर भोजन में फास्ट फूड की अधिकता इस अनुपात को 1:20 से 1:25 के अनुपात तक पहुंच सकता है.
Read More: एक बच्चे की हंसी ने डॉक्टरों को भी चौंका दिया, क्या था इस खौफनाक हंसी के पीछे का सच
डॉ. नयार्डी बताती हैं की सैचुरेटेड एसिड और कार्बोहाईड्रेट की मात्रा अगर भोजन में अधिक हो तो मस्तिष्क के एक अहम हिस्से हिपोकैम्पस पर असर पड़ता है. हिमोकैम्पस मस्तिष्क के मध्य भाग में स्थित होता है और याद्दाश्त तथा सीखने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है. किशोरावस्था मे मस्तिष्क के इस हिस्से का आयतन में बढ़ोत्तरी होती है.
डॉ. नयार्डी बताती हैं कि, “किशोरावस्था मस्तिष्क के विकास का एक अहम दौर होता है. इस समय सही पोषण नहीं मिलने पर मस्तिष्क के विकास पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है. हमारा शोध इस बात की पुष्टि करता है.”
यूनीवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया और टेलेथन किड इंस्टिट्यूट ने ऐसे शोध को अंजाम दिया है. इस शोध में 602 प्रतिभागी शामिल हुए. प्रतिभागियों से 14 साल की उम्र मे एक प्रश्नावली भरवाई गई जिसमें उनके खानपान की आदतों संबंधी सवाल थे. जब यो प्रतिभागी 17 साल के हो गए तो इनका विभिन्न विधियों द्वारा बौद्धिक प्रशिक्षण किया गया. शोध के नतीजों के अनुसार जिन किशोरों के खानपान में फास्टफूड की मात्रा अधिक रही उनका बौद्धिक विकास तुलनात्मक रूप से कम पाया गया.
Read More:
अगर आप पिता हैं तो यह खबर जरूर पढ़ें, कम से कम तीन साल अपने बच्चे से दूर रहें ताकि……
इंसान की नाक उसके माथे पर लगा दी जाए, क्या यह संभव है? इस वीडियो को देखकर आप शायद यकीन करने लगें
सांपों के जहर से बनी एक मांसाहारी शराब, हिम्मत है तो ट्राय करके देखिए यह स्नेक वाइन
Read Comments