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पितृत्व शक्ति घटाती है वायरलेस इंटरनेट तकनीक

use of laptopकंप्यूटर और इंटरनेट के इस जमाने में आए दिन नए-नए उपकरण बाजार में प्रवेश करते जा रहे हैं. प्राय: देखा जाता है कि जितनी जल्दी यह आते हैं उतनी ही शीघ्रता से लोकप्रिय और प्रचलित भी हो जाते हैं. एक समय पहले तक इंटरनेट की सुविधा सिर्फ डेस्कटॉप पर ही उपलब्ध थी, जो लंबी-लंबी तारों से घिरा रहता है. लेकिन कुछ ही वर्षों के अंदर पेनड्राइव जैसे छोटे उपकरण, जिसे डाटाकार्ड कहा जाता है, के रूप में इंटरनेट का आगमन हुआ. इस कार्ड ने तारों के जाल और उनकी जटिलता को पूरी तरह समाप्त कर दिया. अब तो इंटरनेट की सुविधा फोन और लैपटॉप पर भी उतनी ही प्रभावी रूप में उपलब्ध है. इसे कहीं भी आसानी और सहजता के साथ उपयोग में लाया जा सकता है.


लेकिन अब डाटा कार्ड जैसे उपकरण भी आउटडेटेड होते जा रहे हैं. इसकी जगह अब वाई-फाई ने ग्रहण कर ली है. आज लगभग सभी कंपनियों या बड़ी-बड़ी आवासीय सोसाइटियों में वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध है. वाई-फाई पूरी तरह एक वायरलेस तकनीक है.


लेकिन जैसा कि हमेशा देखा जाता रहा है कि ऐसी तकनीकें जहां एक ओर अत्याधिक सहायक होती हैं वहीं इनके कुछ भयंकर दुष्परिणाम भी सामने आते हैं. आज लैपटॉप और स्मार्ट फोन का प्रयोग भले ही लोगों को भा रहा हो लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से यह बहुत घातक परिणाम छोड़ते हैं.


एक नए अध्ययन के अनुसार वे पुरुष जो वाई-फाई जैसी तकनीकों की सहायता से कंप्यूटर या इंटरनेट चलाते हैं उनकी पितृत्व शक्ति घटने की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है.


अर्जेंटीना के कोरडोबा में नासेंटिस सेंटर फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन और ईस्टर्न वर्जीनिया मेडिकल स्कूल के सांझे अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पुरुषों का वाई-फाई जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का ज्यादा प्रयोग करना शुक्राणुओं की संख्या को घटा देता है. यहां तक की लैपटॉप अगर ज्यादा नजदीक रखा जाए तो कुछ ही घंटों में शुक्राणुओं को बहुत नुकसान पहुंचता है.


डेली टेलिग्राफ में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता कानराडो एवंडानो का कहना है कि वाई-फाई का प्रयोग करने वाले पुरुषों की सेहत और उनके पितृत्व शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. वहीं दूसरी ओर वे लैपटॉप जो वाई-फाई से नहीं जुड़े होते उनका प्रयोग करना नुकसानदेह नहीं होता.


यह अध्ययन एक विदेशी संस्थान द्वारा संपन्न किया गया है, सिर्फ इसी आधार पर हम भारतीयों की सेहत पर वाई-फाई जैसी वायरलेस तकनीकों द्वारा पड़ने वाले नुकसान को नजरअंदाज नहीं कर सकते. भारतीय परिवेश में भी अब ऐसी तकनीकें बहुत ज्यादा लोकप्रिय होती जा रही हैं. वाई-फाई घरेलू प्रयोग में तो ज्यादा सफल नहीं है लेकिन ऑफिस में काम करने वाले लगभग सभी लोग वाई-फाई का ही प्रयोग करते हैं. इसका उपयोग जितना सरल है इस अध्ययन के बाद उतना ही भयंकर भी प्रमाणित हो गया है. इसे पूर्णत: निरर्थक तो नहीं करार दिया जा सकता लेकिन थोड़ी सी सावधानी के साथ अगर इसका प्रयोग करें तो सभी दुष्परिणामों को पीछे छोड़ा जा सकता है.


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