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सामाजिक संबंधों को आहत करता है व्यक्ति का अहंकारी स्वभाव

arroagant husbandपरिवार के बड़े-बुजुर्ग बचपन से ही बच्चों को यह शिक्षा देते आए हैं कि एक अच्छा और सफल व्यक्ति वही है जो दूसरों के साथ नम्र व्यवहार रखता है. इतना ही नहीं कई लोगों का यह भी मानना होता है कि ऑफिस में अपने सहकर्मियों और दोस्तों के साथ मेल-जोल बना कर रखने से आपके सामाजिक विकास के साथ-साथ व्यवसायिक प्रगति को भी बल मिलता है. लेकिन एक नए शोध ने इस बात को निरर्थक प्रमाणित कर दिया है.


यूनिवर्सिटी ऑफ इडिनबर्ग और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य निकलकर सामने आया है कि वे लोग जो थोड़े रुक्ष और घमंडी स्वभाव वाले होते हैं या लोगों से ज्यादा मिलना जुलना पसंद नहीं करते, वे कार्यक्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक सफल रहते हैं.


इस अनुसंधान से जुड़े शोधकर्ताओं ने पाया कि व्यक्ति का आत्मकेन्द्रित स्वभाव उसे सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है. क्योंकि अहंकारी प्रवृत्ति वाले व्यक्ति ज्यादा लोगों से मिलना जुलना पसंद नहीं करते, इसीलिए उनका सामाजिक दायरा बहुत सीमित होता हैं, जिसका सीधा लाभ उनके कॅरियर को मिलता है, वह एकाग्र होकर अपने कार्यक्षेत्र और सफलता पर फोकस कर सकते हैं.


लेकिन जैसा की अकसर होता है कि विदेशी संस्थान कुछ लोगों पर केन्द्रित शोध के नतीजों को सभी व्यक्तियों पर लागू करने के लिए उतारू रहते हैं. यह भी इसी सत्य का एक अन्य उदाहरण मात्र है. व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है. समाज और संबंधों से दूर अगर वो अपनी प्रगति और सफलता की तलाश करता है तो यह कतई संभव नहीं हो सकता.


इस शोध को भारतीय लोगों के साथ जोड़कर देखा जाए तो परिवार और स्कूल दोनों में ही हमें हमेशा दूसरों के साथ संबंध बनाए रखने और व्यवहार कुशल होने की सीख ही दी जाती रही है. भारतीय परिवेश में यह भी देखा जा सकता है कि वे लोग जो घमंडी या फिर अहंकार से ग्रस्त होते हैं, उनके साथ कोई भी बात करना पसंद नहीं करता. ऑफिस हो या घर उनसे लोग कटे-कटे ही रहते हैं. ऐसे में उनकी सफलता की क्या गारंटी है, इस बात पर स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता.


हालांकि हमारी युवा पीढ़ी जो अपने कॅरियर और सफलता के विषय में संजीदा है, बहुत हद तक आत्म-केन्द्रित हो गई है. उनके लिए परिवार और दोस्तों से कहीं ज्यादा महत्व उनकी अपनी अपेक्षाओं का होता है. लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि मात्र कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त कर लेना संपूर्ण प्रगति नहीं कहीं जा सकती. स्वाभाविक है कि अगर आप लोगों से मिलना जुलना पसंद नहीं करेंगे तो अन्य व्यक्ति भी आपको नजरअंदाज करेंगे. यहां तक की जरूरत पड़ने पर भी वह आपकी सहायता और समर्थन देने में दिलचस्पी नहीं लेंगे. ऐसे हालातों में शायद आपको इस बात का अहसास हो जाए कि आपसी मेल-जोल के बिना रहना कितना कठिन है.


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