लेटनाइट पार्टीज और रात भर दोस्तों के साथ घूमने के बाद स्वाभाविक है कि आप सुबह देर तक सोते रहेंगे. लेकिन क्या आप अपनी इस जीवनशैली से संतुष्ट हैं या फिर नींद से जागने के बाद आप खुद को तनाव और निराशा से घिरा हुआ पाते हैं और दोबारा रात होने का इंतजार करते हैं, ताकि आप दोस्तों के मौज-मस्ती में कुछ देर के लिए ही सही अपनी सभी परेशानियों को भुला सकें?
आप चाहे खुद को कितना ही खुशमिजाज और कूल समझ लें लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि देर रात तक जागना और सुबह देर तक सोना जैसी आदतों के कारण कोई व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हो सकता, जिसके परिणामस्वरूप वह उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा तनावग्रस्त रहता है जो सुबह जल्दी उठकर अपनी दिनचर्या की शुरूआत करते हैं.
लाइव साइंस में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार टोरंटो विश्वविद्यालय द्वारा संपन्न इस अध्ययन के मुख्य अध्ययनकर्ता रेनी बिस का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ देर रात तक बाहर रहने का सिलसिला भी थमने लगता है. यही कारण है कि उम्र के एक परिपक्व पड़ाव पर पहुंचने के बाद जब लोगों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो जाता है तो वह किशोर या युवा से कहीं ज्यादा प्रसन्न और अपने जीवन से संतुष्ट रहते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे पहले जितने भी अध्ययन हुए उनके अनुसार यह प्रमाणित किया गया था कि रात तक जागने वालों की अपेक्षा दिन में जल्दी उठने वाले लोग ज्यादा सुखी रहते है लेकिन यह ताजा शोध इस बात को भी प्रदर्शित करता है कि आपकी उम्र भी आपकी मानसिकता और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित करती है.
इस सर्वेक्षण के अंतर्गत दो समूहों में स्वयंसेवकों को विभाजित किया गया. पहले समूह में उन 435 लोगों को शामिल किया गया जिनकी उम्र 17 से 38 वर्ष के बीच थी जबकि दूसरे समूह में 59-79 उम्रदराज आयुवर्ग के 297 लोग सम्मिलित हुए. दोनों समूहों के लोगों से प्रश्नावली के जरिए यह पूछा गया कि दिन के किस समय उठकर वह खुद को भावनात्मक तौर पर संतुष्ट महसूस करते हैं.
अध्ययन में यह पाया गया कि 60 की उम्र में पहुंचने के बाद व्यक्ति सुबह जल्दी उठने लगते हैं जबकि ऐसे केवल 7 प्रतिशत ही युवा थे जो सुबह जल्दी उठकर अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे. वहीं 7 प्रतिशत उम्रदराज लोग भी देर रात तक पार्टी करने का आनंद उठाते थे.
रेनी बिस का कहना है कि बुजुर्ग लोगों का जीवन के प्रति रवैया युवाओं से कहीं ज्यादा सकारात्मक होता है और यह सब इसीलिए होता है क्योंकि वह अपने दिन की शुरुआत जल्दी करते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि इन नतीजों के पीछे का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है लेकिन दिन में देर तक सोने का कारण सामाजिक दायरे का बेहद छोटा होना हो सकता है, जिसके कारण लोग रात को देर तक जागते हैं और सुबह सोते हुए दिन बिताते हैं.
उपरोक्त अध्ययन को अगर हम भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखें तो हमारे युवा भी डिस्को और पब में जाकर रात बिताते हैं. लेट-नाइट फिल्म देखना उन्हें बहुत पसंद होता है. देर तक जागेंगे तो सुबह जल्दी उठ पाना तो कठिन है ही. उनकी इस जीवनशैली का प्रभाव सीधा उनके प्रगति और कॅरियर पर पड़ता है. पहले के समय में जीवन सरल और इच्छाएं सीमित थीं लेकिन प्रतिस्पर्धा से भरे इस दौर में उन्हें समय की अहमियत को समझना ही होगा अन्यथा उनके पास पछतावे के अलावा और कोई विकल्प शेष नहीं रह जाएगा.
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