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फिट है बॉस

फिट है बॉसबॉस एक ऐसा नाम है जिससे शायद उनके सभी सीनियर चिढ़ते हैं. कोई अपने बॉस को खडूस कहता है तो कोई उन्हें निरंकुश कहता है और कोई-कोई तो इन सब सीमा को पार कर अपने बॉस की स्वर्ग सिधारने की बात करता है. लेकिन क्या कभी उनकी यह वेदनाएं सुनी गईं? शायद नहीं और अब तो शोध भी यही कहते हैं कि अपने जूनियरों के कामकाज पर तीखी नजर रखने वाले बॉस अधीनस्थों के मुकाबले ज्यादा लम्बी जिंदगी जीते हैं.

लंदन के राष्ट्रीय सांख्यिकी सम्बन्धी ब्रितानी कार्यालय (ओएनएस) के द्वारा कराए गए शोध के आंकड़ों के मुताबिक ऑफिस में काम करने वाले अपेक्षाकृत छोटे कर्मचारियों की उनके बॉस के मुकाबले जल्दी मृत्यु होने के आशंका ज्यादा होती है.

बॉस के साथ हैं आंकड़े

फिट है बॉसवर्ष 2001 से 2008 के आंकड़े भी इसी तथ्य की तरफ़ इशारा करते हैं. आंकड़ों के मुताबिक सभी वर्गो की मृत्यु दर में कुछ गिरावट भी आई है और अगर हम यह तुलना बॉस और उनके मातहत कर्मचारियों के बीच करें तो यह अंतर बढ़ा है. वर्ष 2001 के आंकड़ों में यह पाया गया था कि नियमित काम करने वाले कामगार की अपने प्रबंधक के मुकाबले 65 साल की उम्र से पहले ही मरने के दोगुने आसार होते थे. जबकि वर्ष 2008 में इस अनुपात में वृद्धि हुई और यह आशंका 2-3 गुनी बढ़ गई है.

हालांकि शोध में इस बात का कोई ज़िक्र नहीं है कि दोनों की मृत्यु दरों में इतना अंतर क्यों है. लेकिन अगर हम इन दरों पर नजर डालते हैं तो पता लगता है कि सबसे ज्यादा अधिकार प्राप्त बॉस और सबसे कम शक्ति रखने वाले उसके कामगार के बीच स्वास्थ्य सम्बन्धी अंतर बहुत ज्यादा है.

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