सुनकर थोड़ा अजीब लगता है जब कोई सेलिब्रेटी या कोई आम शख्स यह कहता है कि शॉपिंग करना उसकी हॉबी है. भला शॉपिंग करना किसी की हॉबी कैसे हो सकती है. पारंपरिक रूप से ऐसा माना जाता है कि खरीददारी आदमी अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए करता है. लेकिन उपभोक्तावादी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के कारण ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो अपनी जरूरत के लिए खरीददारी नहीं करते बल्कि खरीददारी करना उनकी जरूरत बन चुकी है. ऐसे लोगों को शॉपहोलिक कहते हैं. शॉपहोलिक वे लोग हैं जो खरीददारी करने की लत के शिकार हैं. मनोवैज्ञानिक इसे कंपल्सिव शॉपिंग डिसऑर्डर कहते हैं.
बेंगलुरु के नैशनल इंस्टीट्यूट फॉर मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (निमहांस) के डिपार्टमेंट ऑफ क्लिनिकल सायकोलॉजी के एडिशनल प्रोफेसर मनोज कुमार शर्मा ने कहा, ‘खरीदारी आसान होने या एक क्लिक में प्राइस कम्पैरिजन से लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग की लत लग गई है.’ साथ ही पीयर प्रेशर, ऑफिस में बुरा दिन गुजरने और घर या ऑफिस में अकेले होने से इस लत को बढ़ावा मिलता है.
Read: निकला था इंटरनेट पर प्यार ढूंढ़ने पर अफसोस जेब पर चूना लग गया…
कंपल्सिव शॉपिंग कोई नई चीज नहीं है. हालांकि, ऑनलाइन शॉपिंग से उनका काम और आसान हो गया है. ऑनलाइन शॉपर्स पूरे हफ्ते रिसर्च करते हैं. वीकेंड पर या सोमवार को यह रिसर्च खरीदारी में बदल जाती है. ऐसे शॉपर्स अकेले में शॉपिंग करना पसंद करते हैं. जब तक डिलिवरी उनके घर तक नहीं पहुंच जाती, तब तक इसके बारे में किसी को पता नहीं लगता. अकेले शॉपिंग करने से उन्हें किसी की सलाह या चेतावनी नहीं झेलनी पड़ती है.
आमतौर पर कंपल्सिव बायर्स क्रेडिट कार्ड से भुगतान करते हैं, लिहाजा तुरंत इसका असर उनकी जेब पर नहीं होता. बायर्स भुगतान के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, उन्हें इस बात की फिक्र होती है कि प्रॉडक्ट लौटाने पर पैसे कैसे वापस मिलेंगे, इसलिए वे कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प चुनते हैं.’
Read: इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में क्या आप भी 90 के दशक की इन चीजों को मिस कर रहे हैं
अगर आपको भी लगता है कि आप इस लत के शिकार हो चुके हैं या हो रहे हैं तो बचाव के लिए ये तरीके अपनाएं-
अपने आप को अन्य कामों में व्यस्त करें- जॉगिंग, व्ययाम, संगीत सुनना या अपनी मनपसंद मूवी देखना. फुर्सत के पलों में अपने आप को इन गतिविधियों में अधिक व्यस्त करके आप खुद को खरीदारी करने से रोक सकते हैं. ये गतिविधियां न सिर्फ आपका मूड ठीक रखेंगी बल्कि आपका बजट भी दुरुस्त रखेंगी.
पर्सनल शॉपिंग के लिए बजट तय करें- जरूरत, कम्फर्ट और लग्जरी के आधार पर चीजों की लिस्ट बनाएं. उस लिस्ट पर हर हाल में टिके रहें, जिससे आप इम्पल्सिव बाइंग पर काफी हद तक लगाम लगा सकते हैं. अगर आपको कोई चीज पसंद आती है तो उसे खरीदने से पहले दो दिन तक इंतजार करें. इन दो दिनों में यह समझने की कोशिश करें कि क्या आपको उस चीज की जरूरत है?
मदद मांगने से डरे नहीं- अगर इन सभी उपायों को अजमाने के बाद भी आप अपनी आदत पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं तो आपको चिकित्सकीय मदद की जरूरत है. आप इस संबंध में अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से बात कर सकते हैं. आप प्रेरक किताबों का सहारा लेने से शुरूआत कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर मनोचिकत्सक से भी मिलें. Next…
Read more:
Read Comments