आमतौर पर यह माना जाता रहा है कि महिलाओं को समझ पाना बहुत मुश्किल काम है. वह प्रकृति की एक ऐसी कृति हैं जो अपने अंदर एक साथ कई राज छुपाए रखने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं. हालांकि यह भी धारणा है कि महिलाएं कोई भी बात अपने तक नहीं रख सकतीं. लेकिन यह सिर्फ तभी तक सत्य है जब तक महिलाएं स्वयं बताना चाहें. अगर वह आपसे कोई बात छुपाना चाहती हैं तो शायद ही कोई उस भेद को जान पाने में सक्षम हो सके. खासतौर पर पुरुषों के प्रति आकर्षण और शारीरिक संबंधों में उनकी रुचि एक ऐसा विषय है जिसके बारे में जानना तो सभी चाहते हैं पर कोई माध्यम नहीं मिलता.
लेकिन विज्ञान और तकनीकों के विकास ने इस जिज्ञासा के समाधान को भी खोज निकाला है. हाल ही में किए गए एक प्रयोग ने, शारीरिक संबंध बनाते समय महिलाओं के मस्तिष्क में क्या चल रहा होता है, इसकी पड़ताल करने की हिम्मत की है.
रटगर्स यूनिवर्सिटी द्वारा कराया गया यह प्रयोग प्रमाणित करता है कि अगर महिलाएं अपने पसंद के पुरुष, जिनसे वह प्रेम करती हैं, के साथ शारीरिक संबंध बनाती हैं तो वह उन्हें मानसिक संतुष्टि भी प्रदान करता है. इतना ही नहीं वह उनकी भावनाओं, स्मरण शक्ति और खुशी को भी बढ़ाता है.
जिस मशीन को ब्रेन ट्यूमर का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है अमेरिकी शोधकर्ताओं ने उसी स्कैनर को आठ महिलाओं पर आजमाया ताकि यह पता लगाया जा सके कि शारीरिक संबंध महिलाओं को किस हद तक संतुष्टि प्रदान करते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि शारीरिक संबंध बनाने और उन्हें जारी रखने में मस्तिष्क सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने महिलाओं के मस्तिष्क की छवियां भी लीं जिससे दिमाग की स्थिति और क्रियाओं का पता लगाया जा सके.
नतीजों पर गौर करें तो पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं शारीरिक संबंधों की प्रति बहुत उत्सुक होती हैं और उनमें संभोग की इच्छा भी प्रबल रूप से विद्यमान होती है. इतना ही नहीं अगर महिलाएं अपनी मर्जी से संबंध बना रही होती हैं तो वह उन्हें उतना ही आवश्यक लगता है जितना की खाना या पानी पीना.
भले ही यह शोध महिलाओं के विषय में एक नई जानकारी प्रदान करने वाला हो, लेकिन यहां यह सवाल उठना भी लाजमी है कि ऐसे शोधों का औचित्य क्या है. महिला हो या पुरुष, शारीरिक संबंध सभी के लिए एक निजी विषय है. इनका सार्वजनिक प्रदर्शन कितना उपयोगी है यह बात समझ से परे है. यद्यपि यह शोध एक विदेशी संस्थान द्वारा कराया गया है और पाश्चात्य देशों में महिला और पुरुष के संबंधों का प्रदर्शन एक आम बात है, लेकिन भारत जैसे परंपरागत और मर्यादाओं में बंधे हुए समाज के संदर्भ में यह शोध अत्याधिक खुले विचारों वाला है. भारतीय समाज में शारीरिक संबंध एक बेहद निजी मसला है. हालांकि अब यहां भी सेक्स की शब्दावली का प्रचलन और इसके बारे में जानने की जिज्ञासा का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ने लगा है. लेकिन फिर भी पति-पत्नी के संबंधों में ताक-झांक उचित नहीं समझी जाती. विदेशों में तो प्रेम-संबंधों जैसे भावना प्रधान संबंधों को भी बाजारीकृत कर उन्हें पैसा कमाने का एक जरिया बना लिया गया है लेकिन भारत में ऐसे शोधों को स्वीकार्यता मिलना बहुत मुश्किल है.
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