गोविन्दा आला रे, आला, जरा मटकी संभाल बृज बाला ………..
एक दौर पहले जन्माष्टमी के दौरान ये गाना बड़ी धूमधाम मचाता था. वैसे तो देश के विभिन्न हिस्सों में जन्माष्टमी की धूम देखी जा सकती है लेकिन सपनों की नगरी मुंबई में जन्माष्टमी मनाए जाने की परंपरा काफी लोकप्रिय और चर्चित है. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि बड़े पर्दे पर भी जब-जब जन्माष्टमी का जिक्र होता है या कोई दृश्य फिल्माया जाता है तो अधिकांशत: मुंबई की पृष्ठभूमि पर ही केन्द्रित होता है.
यूं तो भारत में प्रत्येक त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाता है लेकिन आज मौका जन्माष्टमी का है तो बात जन्माष्टमी की ही करनी बेहतर होगी. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला यह त्यौहार अपनी अठखेलियों की वजह से ज्यादा पहचाना जाता है. गोपालों का झुंड का झुंड गलियों में निकल पड़ता है और फिर प्रतियोगिता होती है दही हांडी की.
अन्य महानगरों और छोटे-छोटे राज्यों की अपेक्षा महाराष्ट्र, विशेषकर मुंबई में दही-हांडी प्रतियोगिता को ज्यादा देखा जा सकता है और जैसे की मुंबई में फिल्म इंडस्ट्री के सितारे भी रहते हैं तो इन प्रतियोगिताओं को और आकर्षक बनाने के लिए वहां अपनी मौजूदगी दर्ज करवाते हैं.
एक दौर था जब जन्माष्टमी समेत प्रत्येक त्यौहार को लेकर सभी लोग सजग रहते थे. धूमधाम से इन्हें मनाते भी थे लेकिन आज जब सभी अपनी-अपनी जिन्दगियों में इतने मशगूल हो गए हैं तो त्यौहार का अर्थ मात्र एक छुट्टी से ही लिया जाता है. अब देखिए न, आज जन्माष्टमी है और कई जगह दफ्तर और स्कूलों की छुट्टी भी है लेकिन शायद इस त्यौहार का महत्व भी भागती-दौड़ती जिंदगी के बीच पीछे छूट गया है.
पारिवारिक संरचनाएं और आपसी मेलजोल में आती कमी के कारण आज पर्व और त्यौहारों का महत्व बहुत कम होता जा रहा है. एक जमाने पहले तक परिवार के सभी लोग मिलजुल कर मनाते थे और अब सब अकेले-अकेले अपने घरों में बंद रहकर त्यौहारों का आनंद उठाते हैं.
जन्माष्टमी व्रत के लिए विशेष व्यंजन
Special Dishes for Janmashtami
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