दुनिया में ऐसा कौन होगा जिसे खूबसूरत दिखने की चाह न होगी। मगर सदियों से खूबसूरती को औरतों का पर्याय माना जाता रहा है। यूं तो आज के समय में खूबसूरत दिखने की चाह औरतों की भांति पुरूषों में भी दिखने लगी है। तभी आज ब्यूटी सैलून यूनिसेक्स हो गए हैं, लेकिन फिर भी कॉस्मेटिक मार्केंट में जितने ब्रांड और प्रोडक्ट औरतों के लिए निकाले जाते हैं , उतने शायद ही पुरूषों के लिए हो। आखिर ऐसा हो भी क्यों न। खूबसूरती औरत का सबसे नायाब गहना है। इतिहास गवाह है कि खूबसूरत स्त्रियों के लिए जहां युद्ध हुए, तो वहीं तख्तापलट भी। सुंदरता इतनी कीमती है कि दुनिया में स्त्रियों ने अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए जान को भी हथेली पर रखा और कुछ ऐसे खतरनाक नुस्खे आजमाएं, जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर पाएंगे। आज हम आपको बताते हैं दुनिया में खूबसूरती के लिए जान हथेली पर रखकर आजमाएं जाने वाले 10 खतरनाक नुस्खे जो आज भी प्रचलन में है:
1. स्तन के आकार में बदलाव: आज अगर किसी महिला को खूबसूरत और सुडौल स्तन चाहिए तो ये सपना नहीं है. स्तनों के आकार में बदलाव के लिए की जाने वाली सर्जरी वर्तमान में भी चलन में है, जबकि दुनिया में पहली बार यह सर्जरी अमेरिका में 1962 में हुई थी, परन्तु कैंसर जैसे खतरे ने इसे अब भी सबसे ज्यादा खतरनाक बनाकर रखा है, पर खूबसूरती की चाह रखने वाली औरतों के लिए ये बात कोई मायने नहीं रखती.
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2. कॉर्सेट या कमर को आकार देने वाली ड्रेस: लग्जरी लाइफस्टाइल और एक -दसूरे से पतला दिखने की चाह ने इस ड्रेस को जन्म दिया. घंटों जिम में कौन पसीना बहाए्ं, अपना मनपसंद खाना कौन छोड़े, ऐसी सोच ने मजबूर कर दिया कि कोई एक ऐसा तरीका हो जिससे औरतें पतली भी दिखें और उन्हें न पसंदीदा खाना छोड़ना पड़े और न ही जिम जाना पड़े. कमर को पतला दिखाकर खूबसूरत दिखने के लिए पहनी जाने वाली एक तरह की यह ड्रेस वैसे तो अब भी चलन में है. लेकिन इससे पेट दर्द, ऑर्गन डेमेज,नर्व प्राब्लम जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं पर औरतें फिर भी इसे पहनती थीं और आज भी बॉडी शेपर के रूप में इसका प्रयोग कर रही हैं.
3. टो बेसिटी सर्जरी: एक महिला से पूछिए खूबसूरती के क्या मायने हैं. कोई भी महिला सिर से पांव तक खूबसूरत दिखना पसंद करती है बस इसी सोच के चलते ये सर्जरी आज भी चलन मेंं है. आमतौर पर पैरों को शेप में लाने और सुंदर दिखने के लिए यह सर्जरी की जाती है. वैसे तो पैरों की खूबसूरती के लिए यह पुराना तरीका है, लेकिन सर्जरी से पैरों में दर्द, इनफेक्शन, रिएक्शन के दुष्प्रभाव होने की संभावना बढ़ जाती है.
4.पैरों को चप्पल के शेप में काटना: सुनकर आपको हैरत जरूर हो रही होगी पर ये सच है कि चाइना में 10वीं शताब्दी में बेहद दर्दनाक और जोखिमभरा यह फैशन ऊंचे तबके में स्टेट्स सिंबल के रूप में देखा जाता था. इसे एक तरह से फुट बाइंडिंग भी कहा जाता है. 1911 में इसे बंद कर दिया गया. माना जाता है कि चीन के आंचलिक इलाकों में यह आज भी चलन में है.
हमेशा से खूबसूरत आंखें रखना बहुत जरूरी रहा है. 18वीं और 19वीं शताब्दी में अंगूरशेफा नाम के इस जहरीले पौधे की पत्तियों का रस औरतें आंखों में डालती थीं. इससे आंखें साफ,चमकदार होती थी,वहीं हार्ट के लिए भी यह बहुत अच्छा माना जाता था. इन रसों का आंखों में एक बूंद की भी ज्यादा मात्रा अंधा बनाने के लिए काफी होती थी.
6. सीसे का लेप: आज मार्केंट में गोरा होने के लिए बेशुमार क्रीमे उपलब्ध है. गोरा होने की चाह स्त्रियों में हमेशा से रही है क्योंकि गोरेपन को आज भी कहीं न कहीं खूबसूरती के पैमाने के तौर पर आंका जाता है. रोमन और ग्रीक सभ्यता के दौरान स्त्रियां गोरी और चमकदार त्वचा पाने के लिए सीसे के लेप का प्रयोग करती थीं. यह काफी खतरनाक माना जाता था. इससे वेट लॉस, ब्रेन डैमेज, यहां तक कि ऑर्गन डैमेज का खतरा भी होता था, लेकिन खूबसूरती के लिए सब स्वीकार था.
7. कीड़े खाकर वेट लॉस: यूं तो वजन कम करने के लिए योगा, जिम और वॉक और भी न जाने क्या – क्या तरीके आज मौजूद है लेकिन 18वीं और 19वीं शताब्दी में वजन कम करने और छरहरा बदन पाने के लिए लोग टैपवॉर्म खाते थे. यह एक 30 फीट लंबा कीड़ा था, जो तेजी से वजन कम कर देता था. इसे खाने से डायरिया से लेकर सिरदर्द और अन्य तकलीफें होती थीं. इसे एक एंटी पैरासिटिक पिल खाकर दोबारा निकालना होता था.
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8. भारी-भरकम विग्स: केश-सज्जा स्त्रियों के लिए हमेशा से ही बहुत महत्वपूर्ण रहा है. 18वीं सदी में फ्रांस सहित यूरोप में बालों को संवारने के लिए पुरुष और स्त्री दोनों ही बेहद भारी-भरकम विग का इस्तेमाल करते थे. यह 4 फीट से ऊंची होती थी और इतनी गहराई लिए होती थी कि इसमें चूहे बिल तक बना लेते थे. हफ्ते में इसे एक बार पहना जाता था. इसे पहनने से रीढ़ की हड्डी से लेकर, सिर में सूजन आने तक के खतरे पैदा हो जाते थे.
10. आर्सेनिक का प्रयोग: क्या कभी कोई जहर किसी को खूबसूरत बना सकता है. हां एक जहर ऐसा ही है जो खूबसूरती के लिए पुराने जमाने से प्रयोग होता रहा है. आर्सेनिक एक बेहद जहरीला कैमिकल है. इतिहास में लोगों को मारने के लिए इसका प्रयोग होता रहा. 18वीं शताब्दी तक ऑस्ट्रिया में इसका प्रयोग औरतें अपने रंग रूप को निखारने के लिए करती रहीं. यह शरीर से टॉक्सिंस निकालने का कार्य भी करता रहा और पहाड़ या ऊंचे स्थानों पर सांस लेने की तकलीफ को दूर करने में भी काम आता रहा.
9. हेयर रीमूवल के लिए एक्स रे मशीन: वैसे तो आज बालों की सफाई के लिए क्रीम से लेकर रेजर और लेसिक किरणें तक सबका प्रयोग होता है. 1815 में विलहैम रोंटेगन ने दुनिया के सामने एक्सरे मशीन रखी थी. ऑस्ट्रिया का एक डॉक्टर इसका प्रयोग शरीर के बालों को हटाने के लिए करने लगा. यह खतरनाक था, क्योंकि एक्स रे किरणें कितना नुकसान पहुंचाती है, यह बात आज हम सब जानते हैं. कमाल है कि औरतें हेयर रीमूवल के लिए एक्स रे मशीन का प्रयोग करती रहीं.. Next…
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