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भ्रूण में निर्धारित होता है बेटी का कॅरियर

women of indiaबच्चों को एक उज्जवल भविष्य देने की पूरी जिम्मेदारी अभिभावकों की होती है. माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा और कॅरियर निर्धारण में अपनी पूरी भागीदारी निभाएं. कई ऐसे माता-पिता हैं जो बच्चों के प्रति अपनी इन्हीं जिम्मेदारियों को बखूबी जानते और उन्हें पूरा करते हैं. आमतौर पर यह भी देखा जाता है कि बच्चे के जन्म लेने से पहले ही माता-पिता उसके कॅरियर के बारे में प्लानिंग करना और उसके लिए बड़े-बड़े सपने देखना शुरू कर देते हैं.


जबसे स्त्री शिक्षा और उन्हें पुरुषों के ही समान किसी भी क्षेत्र में अवसर तलाश करने की पूर्ण आजादी जैसे व्यवस्था लागू की गई है, तब से महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने से संबंधित अभिभावकों की सोच में भी महत्वपूर्ण बदलाव देखे जा सकते हैं. माता-पिता अपनी बेटी को डॉक्टर, इंजीनियर और पाइलट बनाने के सपने देखते हैं.


अगर आप भी अपनी बेटी को ऐसे ही किसी क्षेत्र में स्थापित करने की योजना बना रहे हैं तो एक नया शोध आपको थोड़ा निराश कर सकता है.


पेन्सिलवेनिया राज्य विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में संपन्न हुआ एक अध्ययन यह स्थापित करता है कि बच्चे के जन्म लेने से पहले ही यह तय हो जाता है कि वह किस क्षेत्र में रुचि रखेगा. अर्थात गर्भ में ही यह निर्धारित हो सकता है कि उसके लिए कौन सा कॅरियर उपयुक्त रहेगा. ऐसे में अभिभावकों द्वारा बनाई जाने वाली योजनाएं विफल साबित हो सकती हैं.


teachersअध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है कि कॅरियर की पसंद काफी हद तक भ्रूण निर्माण के दौरान उसे मिलने वाले हार्मोन पर निर्भर करती है. कन्या भ्रूण को अगर पुरुष हार्मोन ज्यादा मिलते हैं तो ही वह इंजीनियर और पाइलट जैसी नौकरियों में रुचि रखेगी, जिसमें पुरुष जाना पसंद करते हैं, अन्यथा नहीं.


इस शोध में सीएचएच (कानजेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया) वाले लगभग 125 युवा महिलाओं और पुरुषों को शामिल किया गया. सीएचएच एक ऐसी अनुवांशिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति के अंदर पुरुष हार्मोन ज्यादा होते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन महिलाओं में सीएचएच नहीं है वे अध्यापन और समाज सेवा में रुचि रखती हैं, वहीं सीएचएच वाली महिलाएं पाइलट और डॉक्टरी पेशे को चुनना पसंद करती हैं.


ऐसे में बच्चे के जन्म लेने से उसके कॅरियर से संबंधित माता-पिता द्वारा बनाई गई योजनाएं सफल नहीं हो सकतीं. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि बच्चे के भविष्य को पूरी तरह उसके ऊपर ही छोड़ दिया जाए. अभिभावकों को कभी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं फेरना चाहिए क्योंकि बच्चे के विकास में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होती है. कोई भी बच्चा स्वत: ही सफल नहीं हो जाता. उसे हर कदम पर एक अच्छे मार्गदर्शक के रूप में अभिभावकों की आवश्यकता पड़ती है.


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