यह बात तो हम सभी जानते हैं कि भावनात्मक परेशानी व्यक्ति को शारीरिक रूप से भी आहत करती है. स्वाभाविक है कि अगर वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है या फिर कोई बात उसे भावनात्मक रूप से चोट पहुंचा रही है तो ऐसे हालातों में वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाएगा, परिणामस्वरूप वह शारीरिक रूप से बेहद कमजोर होता जाएगा. लेकिन हाल ही में जारी एक रिपोर्ट पर नजर डालें तो इसमें यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित किया गया है कि भावनात्मक दबाव या कोई बोझ व्यक्ति को मानसिक रूप से परेशान करने के साथ-साथ उसके शारीरिक भार को भी और अधिक बढ़ा देता है. इतना ही नहीं, अगर भावनात्मक रूप से आपकी यह परेशानी ज्यादा दिनों तक चलती है तो समय के साथ-साथ यह शारीरिक बोझ भी बढ़ता रहता है.
विभिन्न व्यक्तियों पर अध्ययन करने के बाद बोस्टन स्थित तुफ्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि अगर आपने अपने दिल में कोई राज छिपा कर रखा है, जिससे आप भावनात्मक रूप से बहुत अधिक परेशान हैं तो आपकी यह परेशानी आपके मस्तिष्क को तो प्रभावित करेगी ही साथ ही आपको शारीरिक रूप से भी बोझिल प्रतीत करवा सकती है.
डेली मेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि कई बार हम यह सुनते हैं कि आपके भीतर जो राज छिपा है वह आपको शारीरिक रूप से परेशान करता है, इस कथन की पुष्टि करने के लिए यह अध्ययन संपन्न किया गया है. अधिकांश लोग यह शिकायत करते हैं कि उन्हें अपने ऊपर बोझ या दबाव सा प्रतीत होता है, इसे स्पष्ट करने के लिए ही यह अध्ययन संपन्न किया गया है.
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आपने जिस राज को दबा कर रखा है वह आपकी सक्रियता और कार्यों को कितना अधिक प्रभावित करता है यह बात इस अध्ययन द्वारा स्पष्ट हो गई है. शोधकर्ताओं ने अध्ययन में शामिल कुछ प्रतिभागियों से कहा कि वे ऐसा कोई व्यक्तिगत राज याद करें जो उनके जीवन को पूरी तरह बदल सकता है, वहीं कुछ को सामान्य रहस्य याद करने के लिए कहा.
इसके बाद शोधकर्ताओं ने उन दोनों समूह के लोगों से यह पूछा कि सामने का रास्ता उन्हें कितना लंबा लग रहा है या फिर आगे जो पहाड़ी है उन्हें वह कितनी सीधी दिखाई दे रही है. वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों ने कोई बड़ा सिक्रेट सहेज कर रखा हुआ था वह इतनी लंबी दूरी तय करने के लिए शारीरिक तौर पर खुद को फिट नहीं मान रहे थे, वहीं दूसरे समूह के लोग उनकी अपेक्षा ज्यादा फुर्तीले थे.
उपरोक्त अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिस प्रकार शारीरिक भार व्यक्ति की क्रियाशीलता को बाधित करता है उसी प्रकार भावनात्मक बोझ भी शारीरिक रूप से उन्हें अत्याधिक प्रभावित करता है.
उपरोक्त अध्ययन को अगर हम भारतीय परिदृश्य के अनुरूप देखें तो कुछ हद तक हम इन सभी स्थापनाओं को स्वीकार कर सकते हैं. प्राय: देखा जाता है कि वह व्यक्ति जो भावनात्मक रूप से परेशान है, वह अन्य कार्यों में भी अपना ध्यान नहीं दे पाता. अपनी परेशानी या फिर किसी सीक्रेट के बोझ के चलते वह शारीरिक रूप से भी खुद को अक्षम ही पाता है. यह बात सर्वमान्य है कि शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति तो फिर भी एक बार अपनी क्षमता से अधिक कार्य करने की सोच सकता है लेकिन वह व्यक्ति जो भावनात्मक रूप से आहत है और किसी से अपनी परेशानी भी नहीं कह पाता, उसके लिए सभी काम मुश्किल हो जाते हैं. इसका एकमात्र कारण सिर्फ इतना है कि ऐसे हालातों में व्यक्ति अपना आत्मविश्वास तो खो ही देता है इसके साथ ही उसे हर समय बस यही डर सताता रहता है कि कहीं उसका छिपा हुआ राज सबके सामने उजागर ना हो जाए.
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