कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनकी पहचान हमें पैदा होते ही करा दी जाती है, जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि, क्योंकि यह वे संबंध हैं जो पूर्व निर्धारित होते हैं. लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, बाहर की दुनियां में कदम रखते हैं, अपनी समझ और रूचि के अनुसार दोस्त बनाते हैं, जो हमारे चरित्र के विकास में बहुत सहायक होते हैं. हम अपना अधिकतर समय इन्हीं दोस्तों के साथ ही बिताते हैं, इसीलिए यह पूरी तरह हम पर निर्भर करता है कि हम कैसे लोगों के बीच रहना चाहते हैं.
जैसे-जैसे समय बीतता जाता है इन्हीं में से कुछ दोस्तों के साथ अजीब सा भावनात्मक लगाव हो जाता है. पर कभी-कभी ऐसा होता है कि इन्हीं दोस्तों की भीड़ में से हम अपने प्रेमी को पहचानने की गलती कर बैठते हैं और हमें ऐसा लगता है कि जो हमारे साथ हंस-बोल रहा है या जिसकी बातें हमें आकर्षित कर रही हैं, वही प्रेमी के रूप में उपयुक्त है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं होता. इसी नासमझी के चलते जब हमें दूसरी ओर से अपेक्षित व्यवहार नहीं मिलता तो निराशा होने लगती है और जो कभी हमारा अच्छा दोस्त था, हम उससे कटने लगते हैं. इसकी वजह से प्रेम संबंध तो दूर, दोस्ती जैसा मजबूत रिश्ता भी टूटने के कगार पर पहुंच जाता है.
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो आपको किसी भी दूसरे रिश्ते की कड़वाहट से उबार सकता है और आपके दोस्त वह लोग होते हैं जो किसी भी परिस्थिति में आपको अकेला नहीं छोड़ते. हर मुश्किल में वह ढ़ाल बनकर आपके सामने खड़े रहते हैं, और अगर जरा सी गलतफहमी की वजह से हम उनसे दूर हो जाएंगे तो निःसंदेह यह हमें भावनात्मक रूप से आहत करेगा.
आपको ऐसी किसी परिस्थिति से दो-चार न होना पड़े इसके लिए आवश्यक है कि आप दोस्ती और प्यार के बीच के अंतर को समझें. जरूरी नहीं है कि जिसके साथ आप खुद को सहज महसूस करते हैं या जिनके साथ समय बिताना आपको अच्छा लगता है उनसे प्यार भी हो जाए. हो सकता इसके पीछे आप दोनों की परिपक्व आपसी समझ हो, जिसकी वजह से आप एक-दूसरे को अच्छे से समझते हों.
एक महत्वपूर्ण बात जो आपको ध्यान में रखनी होगी कि प्यार और दोस्ती के बीच में एक महीन रेखा होती है, जिसे आपको खुद ही समझना होता है. क्योंकि आप किसके लिए क्या महसूस करते हैं, यह केवल आप ही समझ सकते हैं. लेकिन फिर भी अगर आप किसी को पसंद करते हैं, और उसके लिए अपनी भावनाओं को लेकर उलझन में हैं तो पहले आप खुद को समझें, अपनी भावनाओं का आंकलन करें, और समझें कि उस व्यक्ति के लिए आपके वास्तविक मनोभाव क्या हैं. अपनी प्राथमिकताओं को समझे, उस पर गंभीरता से विचार करें क्योंकि जल्दबाजी मे कोई निर्णय लेना हानिकारक सिद्ध हो सकता है. जल्दबाजी में अपनी भावनाओं को व्यक्त करना किसी समझदार व्यक्ति की पहचान नहीं हैं, जितना हो सके आप खुद को समय दें और उसके बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचें.
अच्छे दोस्त बहुत मुश्किल से मिलते हैं और अपनी किसी नासमझी या नाराज़गी के चलते अगर आप एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं तो यह आपको मानसिक रूप से तो आहत करेगा ही, आपके व्यक्तिगत जीवन पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
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