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जीवनसाथी के साथ भी सुरक्षित नहीं हैं भारतीय महिलाएं!!

domestic violenceमहिलाओं के साथ यौन-उत्पीड़न जैसी वारदातें दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं. कोई भी देश हो या फिर समाज किसी भी स्थान पर महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर सकतीं. आंकड़े भी यह साफ बयां करते हैं कि महिलाएं चाहे घर में रहें या फिर बाहर वह कभी भी अपनी सुरक्षा को लेकर पूर्ण रूप से आश्वस्त नहीं रह सकतीं.


लेकिन अगर आप यह समझ रहे हैं कि घर से बाहर रहने वाली या काम पर जाने वाली महिलाएं ही बलात्कार और यौन हिंसा जैसी घटनाओं की शिकार होती हैं तो आपको यह जानकर बेहद हैरानी हो सकती है कि पति जिसके साथ विवाह सूत्र में बंधने के बाद महिला खुद को सुरक्षित महसूस करने लगती है, वही उसके साथ शारीरिक संबंधों में हिंसक होने से नहीं चूकता.


जानकारों का कहना है कि पुरुषों में शारीरिक संबंधों के प्रति रुझान महिलाओं की अपेक्षा कहीं ज्यादा होता है. महिलाएं किसी भी रूप में पुरुषों पर संबंध बनाने के लिए दबाव नहीं डालतीं लेकिन अगर कोई पुरुष शारीरिक संबंध स्थापित करना चाहता है तो इसके लिए वह अपनी प्रेमिका या पत्नी पर दबाव बना सकता है.


हाल ही में हुए अध्ययन के अनुसार यह बात प्रमाणित हो गई है कि अन्य देशों के मुकाबले  भारतीय पुरूष अपनी पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने में ज्यादा संलिप्त रहते हैं. उनके लिए प्रेम और जीवनसाथी की भावनाएं कोई मायने नहीं रखतीं.


इस अध्ययन की मानें तो भारत में 10 में से 6 पुरुषों का व्यवहार ऐसा ही है. उनमें सेक्स के प्रति आतुरता इतनी अधिक होती है कि वह इसके लिए किसी महिला भले ही वह उनकी पत्नी ही क्यों ना हो, को प्रताड़ित करने से भी परहेज नहीं करते.


उल्लेखनीय है कि अध्ययन में शामिल भारतीय पुरुषों में से एक चौथाई भारतीय पुरूषों ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि वे अपनी पत्नी या अन्य महिला साथी के साथ जबरदस्ती करते हैं. वहीं 24 प्रतिशत पुरूषों का यह भी कहना था कि उन्होंने अपने जीवन साथी को शारीरिक संबंध बनाने के लिए प्रताड़ित किया है. 20 प्रतिशत पुरुषों का यह भी कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में कभी ना कभी शारीरिक संबंध बनाने के लिए जबरदस्ती की है. कुछ पुरुषों का यह भी कहना है कि उन्होंने अपने जीवन साथी पर कई बार सेक्स के लिए दबाव डाला है.


उपरोक्त अध्ययन अगर सही है तो यह भारतीय समाज के लिए बेहद चिंताजनक तथ्य है. हम महिलाओं को घर के बाहर सुरक्षित जीवन देने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन घरेलू हिंसा के क्षेत्र में होते विस्तार और जीवन साथी के द्वारा यौन-उत्पीड़न से जुड़े ऐसे आंकड़े हमें यह सोचने के लिए विवश कर देते हैं कि जब महिला घर में पति के साथ ही सुरक्षित नहीं है, तो बाहर उसे एक चिंतामुक्त समाज देने की कल्पना कैसे की जा सकती है.


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