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कंप्यूटर गेम की बढ़ती चाहत से संबंधों में होता बिखराव

girls like playing computer gamesअभी तक हम यह मानते आए हैं कि मोबाइल और कंप्यूटर जैसे आधुनिक उपकरणों पर गेम खेलना पुरुषों को ही पसंद है. इसके विपरीत महिलाएं अपना समय खरीददारी और गपशप करने में व्यतीत करना ही पसंद करती हैं. लेकिन आपको यह जान कर हैरानी हो सकती है कि यह धारणा बिलकुल निराधार है. लंदन के एक संस्थान द्वारा कराए गए सर्वेक्षण ने इस बात पर मोहर लगा दी है कि महिलाएं भी कंप्यूटर गेमों में उतनी ही दिलचस्पी रखती हैं जितना की पुरुष. इतना ही नहीं इस नए शोध की स्थापना के अनुसार जो महिलाएं कंप्यूटर और मोबाइल पर गेम खेलना पसंद करती हैं, वह पुरुषों से भी ज्यादा अपना समय इन्हें खेलते हुए बिता सकती हैं.


डोरिटो कंपनी द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण ने यह प्रमाणित कर दिया है कि कंप्यूटर गेमों की दीवानी महिलाएं अपने प्रेमी और पति के साथ समय बिताने की जगह इन हाई-टेक उपकरणों पर खेलना ज्यादा पसंद करती हैं. लगभग 49% महिलाओं ने इस बात को स्वीकार किया है कि इंटरनेट गेमों को खेलने की उनकी आदत अब एक नशा बन चुकी है. पुरुष जहां अपने दिन का 22.3% हिस्सा इन गेमों को खेलने में लगा देते हैं, वहीं महिलाएं इस मामले में भी उनसे आगे निकलीं. वह अपना 23.2% समय गेमों को ही समर्पित कर देती हैं.


हालांकि कई सामाजिक विशेषज्ञों ने महिलाओं के इस गैजेट-प्रेम को उनके वैवाहिक जीवन के लिए घातक करार दिया है. उनका कहना है कि जब आप अपने साथी के साथ समय बिताने को महत्व नहीं देते हैं तो आपका ऐसा व्यवहार कहीं ना कहीं आप दोनों के आपसी रिश्ते को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. आप एक साथ एक घर में रहते हुए भी खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं.


आपसी रिश्तों के जानकार डगलस वीस का कहना है कि आजकल ऐसी नई तकनीकें भले ही एक तरह से हमारे जीवन के लिए उपयोगी हों, लेकिन इनका नकारात्मक पक्ष सीधा हमारे संबंधों को प्रभावित करता है. इन नई तकनीकों के कारण हम अपने संबंधों में नजदीकी को तरजीह देना भूल जाते हैं.


भारतीय परिदृश्य में भी यह देखा जा सकता है कि लोग खाना खाते समय या एक-दूसरे के साथ बात करते समय भी अपने मोबाइल का प्रयोग करना नहीं भूलते. इसके अलावा जबसे फेसबुक, ऑरकुट जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों का भारत में आगमन हुआ है तबसे महिला हो या पुरुष अपने वास्तविक संबंधों को भूल कर आभासी दुनिया के लोगों के साथ समय बिताना ज्यादा जरूरी समझने लगे हैं. विवाह से पहले जिन लोगों ने अपने साथियों से बड़े-बड़े वायदे किए थे, कभी ना साथ छोड़ने का विश्वास दिलाया था, वे भी अब अपनी जिम्मेदारियों को भूल नेट पर अपना ज्यादा समय बिताने लगे हैं. जबकि हमें ऐसे किसी भी तकनीक की जरूरत अपने संबंधों से ज्यादा नहीं है. विशेषकर कंप्यूटर जैसी नई तकनीकें जो हमें अपने करीबी दोस्तों और परिवारजनों से दूर रहने के लिए विवश कर देती हैं, उन्हें अपने जीवन में शामिल करने का कोई अर्थ नहीं रह जाता.


इसीलिए हमें नई तकनीकों का प्रयोग सोच-समझकर एक सीमा में रहकर ही करना चाहिए. क्योंकि इनका अत्याधिक उपयोग करना जहां हमारे सेहत के लिए हानिकारक है वहीं मुख्य रूप से हमारे संबंधों में भी बाधा उत्पन्न करता है.


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