शादी के बाद शायद सबसे बड़ी खुशी पिता बनने की होती है. लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि जैविकीय असंतुलन की वजह से कुछ लोग पिता बनने का सुख भोग नहीं पाते.
अधिकतर ऐसा पाया गया है कि जो पुरुष पिता नहीं बन पाते उनके शुक्राणु क्षतिग्रस्त होते हैं. और पिता बनने में सारा खेल शुक्राणुओं का ही होता है. परन्तु अब ऐसे पुरुषों को दुखी होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि एक शोध ने सिद्ध कर दिया है कि जो पुरुष पिता बनना चाहते हैं उन्हें एक सप्ताह पूर्व से ही रोज़ाना संभोग या स्खलन करना चाहिए.
ऑस्ट्रेलियाई प्रजनन विशेषज्ञ डेविड ग्रीनिंग के द्वारा किए गए इस शोध के लिए उन्होंने उन 118 पुरुषों को चुना गया जिनके शुक्राणुओं में नुकसान हुए डीएनए का स्तर सामान्य से अधिक था.
परीक्षण से पहले ग्रीनिंग ने यह पाया कि औसतन समूह में 34 प्रतिशत शुक्राणु का स्तर क्षतिग्रस्त था. मेडिकल भाषा में इसे हम अपर्याप्त गुणवत्ता का कहते हैं. व्यक्तियों में क्षतिग्रस्त शुक्राणु का स्तर 15 से 98 प्रतिशत पाया गया.
शोध के दौरान पुरुषों के इस समूह को रोज़ाना सात दिन तक स्खलन करने को कहा गया. इस दौरान उन्हें किसी भी दवाइयों के सेवन और रहन-सहन में अंतर से किसी भी प्रकार से दूर रखा गया. सात दिनों के बाद जब उनके शुक्राणु की फिर से जांच की गई तो पाया गया कि क्षतिग्रस्त शुक्राणुओं के स्तर में गिरावट आयी थी. पहले जहां यह स्तर 34 प्रतिशत था अब वह गिर के 26 प्रतिशत रह गया था. पांच में से चार पुरुषों के शुक्राणु की गुणवत्ता में भी वृद्धि हुई थी और उनमें से कई पुरुषों का शुक्राणु खराब से बेहतर श्रेणी में आ गया था.
शोध के बाद ग्रीनिंग का कहना था कि दैनिक स्खलन करने से ना सिर्फ शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ती है बल्कि इससे शुक्राणुओं को गतिशीलता भी मिलती है जो सफल निषेचन के लिए एक बड़ा कारक भी है जिसका शुक्राणु या वीर्य की मात्रा से कोई संबंध नहीं होता. उनका यह भी कहना था कि प्रजनन क्रिया में पुरुषों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है अतः मेरे इस शोध से पुरुषों को ज़रूर मदद मिलेगी.
परन्तु ऑस्ट्रेलियाई प्रजनन विशेषज्ञ डेविड ग्रीनिंग के इस द्वारा किए गए इस अनुसंधान से यह साफ़ नहीं हो पाया कि क्या शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार होने से गर्भावस्था की दरों में भी कुछ फर्क होता है कि नहीं?
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