अगर आप उन लोगों में से हैं जो महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा मानसिक रूप से कमजोर मानकर उनकी बुद्धिमता पर हमेशा संदेह करते हैं तो आपको जल्द से जल्द अपनी यह मानसिकता बदल लेनी चाहिए. क्योंकि जिस रिपोर्ट की हम यहां बात कर रहे हैं उसके अनुसार यह स्पष्ट प्रमाणित होता है कि महिलाओं का आईक्यू लेवल पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा होता है.
महिलाओं की आईक्यू पर हैरतंगेज खुलासा
आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि महिला और पुरुषों के आईक्यू से संबंधित पिछले सौ वर्षों में जितने भी अध्ययन हुए हैं उनमें पहली बार यह स्थापित किया गया है कि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान होती हैं. डेली मेल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की जानी-मानी मनोवैज्ञानिक जेम्स फ्लेन का कहना है कि एक सदी पहले शुरू हुई इस जांच में आईक्यू टेस्ट में पुरुषों की तुलना में महिलाएं करीब पांच प्वाइंट पीछे थीं. लेकिन ताजातरीन अध्ययन की रिपोर्ट पर गौर करें तो अब महिला और पुरुष के बीच आईक्यू से संबंधित जो भी अंतर था उसमें कमी आने लगी है. इसका सीधा अर्थ यह है कि अब महिलाओं का आईक्यू लेवल बढ़ने लगा है.
महिलाओं में आए इस बड़े और महत्वपूर्ण परिवर्तन का कारण स्पष्ट करते हुए फ्लेन कहती हैं कि महिलाएं घर और बाहर दोनों जगह प्रमुखता के साथ काम कर रही हैं जो उनकी बुद्धिमता और परखने की क्षमता को और बढ़ाने में बहुत हद तक सहायक है.
फ्लेन ने यह स्पष्ट किया है कि पिछले सौ वर्षों में महिलाओं और पुरुषों, दोनों के ही आईक्यू लेवल में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन महिलाओं में बढ़ोत्तरी बेहद तीव्र और उल्लेखनीय रूप से हुई है. इसे आधुनिकता और जटिल होती दिनचर्या का प्रभाव भी कहा जा सकता है क्योंकि यह हमारे मस्तिष्क को अनुकूल बना रहा है.
क्यों बढ़ रहा है महिलाओं का आईक्यू ?
महिलाओं में आ रहे इन परिवर्तनों के दो कारण हो सकते हैं. पहला महिलाएं घर और बाहर दोनों का काम संभालती हैं जबकि दूसरा कारण यह हो सकता है कि महिलाएं स्वयं यह महसूस करने लगी हैं कि वह पुरुषों की तुलना में अधिक बुद्धिमान हैं. ऐसी सोच उन्हें मानसिक तौर पर समर्थन देते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है.
उल्लेखनीय है कि इस अध्ययन में यह सामने आया है कि व्यक्तिगत आईक्यू का आधार आनुवांशिक नहीं होता. समय के साथ-साथ और अपनी मेहनत के बल पर इन सब में सुधार किए जा सकते हैं.
भारत में महिलाओं की आईक्यू
भारतीय परिदृश्य के अनुसार उपरोक्त अध्ययन पर विचार करने पर हम यह देख सकते हैं कि जहां एक समय पहले महिलाएं घर की चारदीवारी में ही कैद रहने को अपना जीवन समझती थीं, आज वहीं महिलाएं घर और बाहर की जिम्मेदारी संभालने में अपने पति का पूरा सहयोग कर रही हैं. वह घर और परिवार को तो संभालती ही हैं साथ ही बाहर कार्य कर अपनी गृहस्थी को आर्थिक सहयोग भी देती हैं. शिक्षा हो या फिर व्यवसाय, भारतीय महिला हर क्षेत्र में पुरुषों को पछाड़ती नजर आ रही है. निश्चित रूप से उनकी बढ़ती जिम्मेदारियां उनके सर्व आयामी व्यक्तित्व को अत्याधिक विस्तार देती हैं. वह जितनी अच्छी तरह अपने घर की जरूरतों और संबंधित मसलों को हल करती हैं उतनी ही कुशलता के साथ वह ऑफिस और घर के बाहर के मामलों को सुलझाती हैं जबकि अधिकांशतया पुरुष केवल ऑफिस के मसले ही सहजता के साथ हल कर सकते हैं.
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