हम भारतीयों की अदा बड़ी निराली है. यहाँ बीरबल खिचडी बनाकर नसीहतें देता है और रामदेव नसीहतें देकर लोगों को हंसाया करते हैं. कमाल के फंडे हैं पर हम अंडे नहीं हैं. हम वह कर सकते हैं जो दुनिया में कोई नहीं कर सकता. दिमाग है हमारे पास. इतिहास गवाह है कि दुनिया में शून्य और दशमलव का आविष्कार हमने ही किया है. सिन्धु घाटी की सभ्यता हमारी सिविलाइजेशन है. इतने बड़े बाथरूम उस जमाने में थे कि किसी रॉयल पैलेस में भी क्या ऐसे बाथरूम होंगे. अपनी तारीफें हम खुद क्या करें अब. हम तो वो हैं जो सब्जियों के छिलके निकालकर उसके भी पकौड़े बना लेते हैं. कहाँ किचन चले गए. दिमाग की बातें हो रही थीं और औरतों को तो दिमाग की बातें करते माना नहीं जाता. इसलिए बात करते हैं टेक्नोलॉजी की. दुनिया कहती है कि नासा वैज्ञानिकों का हब है. अरे भारत आइए. हर गली मोहल्ले में इतने वैज्ञानिक नजर आएँगे कि आप विज्ञान भूल जाएंगे. पर यही है कि इसे समझाने के लिए भी दिमाग चाहिए वरना तो आपने सुना ही होगा कि हर जीनियस को दुनिया पागल कहती है. यहाँ कुछ प्रूफ हैं जो हमारे मल्टी-टैलेंट की कहानी चीख-चीखकर कहते हैं लेकिन कोई सुनता नहीं:
मल्टी टैलेंटेड फोन (जिसमें एक्स्ट्रा दिमाग हमारा होता है): फोन का आविष्कार हुआ था कनेक्टिविटी के पर्पज से. सच है, हम भी मानते हैं पर अगर चीजें उपलब्ध हैं तो उसका पूरा इस्तेमाल क्यों न करें! हम करते हैं. एक मोबाइल फोन खरीदने में इतने खर्च आते हैं इसलिए मिस्ड कॉल देकर पैसे बचाते हैं. मोबाइल की कीमत से ज्यादा ही खर्च निकल आता है. और तो और लाइट जाने पर टॉर्च की बैटरी के खर्च को भी इसे जलाकर बचा लेते हैं, रेडियो चलाकर मनोरंजन भी कर लेते हैं, और तो और हम तो अब स्कैनर का काम भी इसी से चला लेते हैं. आखिर कैमरा फोन में बड़ी कीमत खर्च करने का कुछ तो फायदा हो.
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चम्मच (खाने के अलावे कुछ भी और सोचो): चम्मच तो पूरी दुनिया खाना खाने के काम लाती है. हम इसमें भी थोड़ा एक्स्ट्रा दिमाग लगाते हैं. कुकर की स्क्रू ढीली हो गयी चम्मच और चाकू से ही काम चला लिया करते हैं, पेचकस और किसी और औजार की जरूरत ही नहीं पड़ती.
टूथब्रश/टूथपेस्ट (तकनीक हर जगह है बस उसे ढूँढ़ने की जरूरत है): टूथपेस्ट तो हर कोई इस्तेमाल करता है लेकिन टूथपेस्ट को किसी तकनीक से जोड़ा जाए तो क्या बात है. हमारे सुपर साइंटिस्ट घरेलू डॉक्टरों ने दांत साफ करने से अलग इसकी एक्स्ट्रा खूबियों को ढूंढ़ा है. अगर कीड़ा काट ले तो टूथपेस्ट यूज करो भाई दवाइयों के पैसे बचेंगे. और तो और हमारे सुपर साइंटिस्ट बच्चों ने तो इसे भी एक टेस्टी डिश बना दिया और टूथपेस्ट दांतों पर लगाने की बजाए खाने में उपयोग करने लगे.
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और टूथपेस्ट का हमराही टूथब्रश! इसकी तो बात ही मत पूछिए, मल्टी टैलेंटेड हमारे गली-गली के वैज्ञानिकों ने इसे भी मल्टी-टैलेंटेड बना दिया. दांत साफ कर यह बेचारा जब रिटायर हो जाता है तो बाल डाई करने, किसी कॉर्नर की गन्दगी साफ करने में इस तरह काम आता है कि क्या कोई वैक्यूम क्लीनर सफाई करेगा.
ये तो अदना से कुछ नमूने हैं. ऐसे कई टैलेंट आपके पास भी होंगे या आप जानते होंगे. तो हमारे इस टैलेंट को सलाम कीजिए और कोई नया टैलेंट इजाद कीजिए. आखिर दुनिया को भी तो पता चले यह वैज्ञानिकों की दुनिया है!
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